राहुल गांधी के 5 सवाल, मोदी सरकार में होगा बवाल
जीएसटी को लेकर मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है. मुआवजे को लेकर गैर बीजेपी शासित राज्य लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.

जीएसटी को लेकर मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है. मुआवजे को लेकर गैर बीजेपी शासित राज्य लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. वहीं आज कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी केंद्र को आड़े हाथों लिया है. साथ ही जीएसटी राजस्व में राज्यों को हिस्सा ना देने को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक बार फिर सरकार का उद्योगपतियों के साथ कनेक्शन निकालते हुए पीएम मोदी पर ऐसे 5 तीखे तीर छोड़े, जो सरकार को घायल कर सकते हैं.मोदी सरकार ने दावा किया था कि जीएसटी से राज्य सरकारों को फायदा होगा, उनका खजाना बढ़ेगा. …पैसों की कोई कमी नहीं होगी…लेकिन आज हालात इस दावे से बिल्कुल उलट हैं. क्योंकि राज्य सरकारों को मोदी सरकार की इस नीति से ना तो कोई फायदा हो रहा है, और ना ही खजाना बढ़ रहा है…इसीलिए वो जीएसटी राजस्व में राज्यों को हिस्सा देने की मांग कर रहे हैं. गैर बीजेपी शासित राज्यों ने तो केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. लेकिन सरकार है कि उनकी मांगों को अनसुना कर रही है…वहीं इस तकरार के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- 1. केंद्र ने राज्यों से जीएसटी राजस्व देने का वादा किया. 2. प्रधानमंत्री और महामारी ने अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर दिया. 3. प्रधानमंत्री ने कॉर्पोरेट्स को 1.4 लाख करोड़ की टैक्स में छूट दी, 8400 करोड़ में दो हवाई जहाज खरीदे. 4. केंद्र के पास राज्यों को देने के लिए पैसा नहीं. 5. वित्त मंत्री ने राज्यों से कहा- कर्ज लो. आपके मुख्यमंत्री मोदी के लिए अपना भविष्य क्यों गिरवी रख रहे हैं?’’…कांग्रेस सांसद का ये निशाना केंद्र सरकार के उस झूठे वादे के खिलाफ है. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के टैक्स में होने वाले नुकसान के लिए उसने एक तय समय तक उन्हें इसकी भरपायी का भरोसा दिया था. लेकिन महामारी में अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब होने के कारण केंद्र पूरी तरह से राज्यों के नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रहा…इसके एवज में केंद्र ने राज्यों को जीएसटी की भरपाई के लिए कर्ज के दो विकल्प दिए थे. इसके तहत 97 हजार करोड़ का कर्ज आरबीआई की स्पेशल विंडो से ले सकते हैं या पूरे 2.35 लाख करोड़ बाजार से जुटा सकते हैं. साथ ही लग्जरी उत्पादों पर सेस वसूली की अवधि बढ़ाने का भी प्रस्ताव था. इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है. अब सवाल उठता है कि जब सरकार पीछे खींचेगी कदम, तो कौन भरेगा राज्यों में दम


