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राहुल गांधी अपने भाषण को सत्यापित करें या माफी मांगें : किरेन रिजिजू

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ससंद सत्र के दौरान विपक्ष खासकर कांग्रेस के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदन नहीं चलने देने की नई परंपरा शुरू की है और इस परंपरा को चलने नहीं दिया जा सकता है

राहुल गांधी अपने भाषण को सत्यापित करें या माफी मांगें : किरेन रिजिजू
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नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ससंद सत्र के दौरान विपक्ष खासकर कांग्रेस के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदन नहीं चलने देने की नई परंपरा शुरू की है और इस परंपरा को चलने नहीं दिया जा सकता है। आखिर किसी को जबरदस्ती सदन की कार्यवाही को कैसे रोकने दिया जा सकता है।

बुधवार को राज्यसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि पहले जब नए सांसद चुनकर सदन में आते थे, उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव और प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ नेताओं के भाषण और वाद-विवाद से काफी कुछ सीखने को मिलता था। लेकिन, कांग्रेस तो अब संसद शुरू होने से पहले ही नए सांसदों को हंगामा करना सिखा रही है।

राहुल गांधी पर सदन में झूठ बोलने और गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि नियम-115 के तहत शिकायत की गई है। इसके तहत या तो राहुल गांधी को अपनी बात को सत्यापित करना पड़ेगा या फिर माफी मांगनी होगी और अगर ये ऐसा नहीं करते हैं तो स्पीकर मामले को विशेषाधिकार कमेटी को भेज सकते हैं। इस पर अंतिम फैसला लोकसभा स्पीकर को ही करना है। हम कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार नियम और प्रक्रियाओं से सदन भी चलाएगी और सरकार भी चलाएगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए जा रहे जवाब के दौरान विपक्षी दलों के हंगामे और वॉकआउट की आलोचना करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि आज जब प्रधानमंत्री राज्यसभा में जवाब दे रहे थे तो उस समय भी विपक्ष ने कुछ देर बाद हंगामा करना शुरू कर दिया, 15-20 मिनट हंगामा किया और फिर वॉकआउट करके बाहर चले गए।

उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सदन के नियमों की अवहेलना की है और संविधान का मजाक उड़ाया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि कल लोकसभा में भी जैसे ही प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू किया, कांग्रेस और उसके साथियों ने वहां जबरदस्त हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष ने पीएम के पूरे भाषण के दौरान डिस्टर्ब किया, पूरे भाषण के दौरान हो-हल्ला करते रहे और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। कांग्रेस को सोचना होगा कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ध्यान रखना हम सबकी खासतौर से सांसदों की जिम्मेदारी होती है क्योंकि हम सबने शपथ ली है और नियमों से बंधे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि सदन की शुरुआत के साथ ही एक प्रोटेम स्पीकर और 5 वरिष्ठ सांसदों के चयन में सरकार ने विपक्ष का भी ध्यान रखा। तीन एनडीए से तय किए गए और तीन विपक्षी दलों की तरफ से, लेकिन विपक्ष के लोगों ने सहयोग नहीं किया, जबकि यह व्यवस्था शपथ ग्रहण के लिए की गई थी। सरकार ने बार-बार अपील की। लेकिन, उसके बावजूद विपक्षी दलों का जो रवैया रहा, वे उसका खंडन करते हैं। कोई आदमी देश और संविधान से बड़ा नहीं है।

असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लोकसभा में संसद सदस्यता की शपथ लेने के बाद लगाए गए 'जय फिलिस्तीन' के नारे पर कार्रवाई के लिए पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोकसभा स्पीकर ने कमेटी बना दी है, जो नियमों को तय करेगी ताकि भविष्य में फिर से ऐसा न हो।

विपक्ष से बात करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस सत्र से पहले भी वो विपक्षी नेताओं से मिले थे और अगला बजट सत्र शुरू होने से पहले भी राहुल गांधी समेत सभी दलों के फ्लोर लीडर्स से मुलाकात करेंगे। राहुल गांधी विशेष परिवार से आए हैं, इस वजह से उन्हें कोई प्रिविलेज नहीं दिया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब के दौरान नीट और मणिपुर सहित हर मुद्दे पर समग्रता से जवाब दिया।

राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के रवैये पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मंशा पीएम मोदी के भाषण को रोकना था, जो ठीक नहीं था इसलिए चेयरमैन ने सही किया। वहीं, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्षी दलों की एकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकसभा में कल कांग्रेस और कुछ अन्य दल वेल में थे, लेकिन सपा और टीएमसी के सांसद वेल में नहीं थे और ऐसे दृश्य आगे भी देखने को मिलेंगे।


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