रोजगार दिया नहीं, नौकरी छीनने की तैयारी में सरकार
देश की अर्थव्यवस्था पहले ही मुश्किल में फंस चुकी थी. साथ ही ऐतिहासिक स्तर तक बेरोजगारी भी पहुंच गई. इस बीच सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई ने बताया कि देश में अगस्त महीने में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में 15 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं. इसके लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं.

हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी दर ऐतिहासिक स्तर को छू चुकी है. लम्बे समय तक बेरोजगारी दर का आंकड़ा दो अंकों में बना रहा. सरकार दावा कर रही है कि कोरोना के चलते जो आर्थिक मंदी आई थी उससे देश उबर चुका था. इसके समर्थन में सरकार की ओर से हाल ही में वर्ष 2021—22 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों का हवाला दिया जाता है. जिसमें कहा गया है कि पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 20.1 प्रतिशत रही. जो तीन दशक में सबसे ज्यादा है. वो बात अलग है कि इसकी तुलना यदि 2019—20 की जीडीपी से की जाए तो सरकार के दावे की पोल खुल जाती है क्योंकि दो साल पुरानी स्थिति की तुलना में अभी जीडीपी 9 प्रतिशत नीचे हैं. वहीं रोजगार के मोर्चे पर भी सरकार का प्रदर्शन बेहद बुरा है. सीएमआईई की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त माह में ही 15 लाख लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया. इसे लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि
मोदी सरकार रोज़गार के लिए हानिकारक है। वे किसी भी प्रकार के ‘मित्रहीन’ व्यवसाय या रोज़गार को बढ़ावा या सहारा नहीं देते बल्कि जिनके पास नौकरी है उसे भी छीनने में लगे हैं। देशवासियों से आत्मनिर्भरता का ढोंग अपेक्षित है।
जनहित में जारी।#Unemployment pic.twitter.com/rjvn0TyGaA
राहुल गांधी अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं। इससे पहले एलपीजी सिलेंडर के महंगे होने पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि जनता को खाली पेट सोने पर मजबूर करने वाला ख़ुद मित्र-छाया में सो रहा है... सरकार की गरीब विरोधी नीति के खिलाफ देश एकजुट हो रहा है.


