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राहुल गांधी ने स्वीकारा इमरजेंसी थी भूल.. लेकिन आज जो हो रहा वो लोकतंत्र पर हमला है

राहुल गांधी ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु से बातचीत में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और अब इस पार्टी को भारतीय लोगों के सामने खुद को प्रस्तुत करना है

राहुल गांधी ने स्वीकारा इमरजेंसी थी भूल.. लेकिन आज जो हो रहा वो लोकतंत्र पर हमला है
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नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका की कार्नवेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु से बातचीत की और इस दौरान उन्होंने ऐसी चीजें स्वीकार की जिससे राजनीति का गलियारा एक बार फिर से गरम हो गया है। राहुल गांधी ने इस वार्ता में ये स्वीकार किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाना एक भूल थी। उन्होंने कहा कि उस दौर में जो हुआ वह गलत हुआ, देश के संस्थागत ढांचे पर कांग्रेस कब्जा नहीं कर सकती है। आपातकाल को एक भूल स्वीकारते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उस वक्त जो हुआ वो गलत था लेकिन आज मौजूदा दौर से यदि तुलना करें तो तबके हालात से बिल्कुल अलग है।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस पर इमरजेंसी को लेकर हमला बोलो है, अब राहुल गांधी ने इस जवाब से विपक्षी दलों को भी करारा जवाब दिया है। राहुल गांधी ने साफ कहा कि उस दौर में जो हुआ था वो भी गलत था और आज जो हो रहा है वो भी गलत है। राहुल गांधी ने कहा मौजूदा समय में आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं इसलिए प्रभावी हैं, क्योंकि उनके पास स्वतंत्र संस्थाएं हैं लेकिन, भारत में उस स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है।

राहुल गांधी ने कहा भारत में लोकतंत्र की धमकियां बहस से ज्यादा गहरी हैं। गूढ़ बहस इसका एक लक्षण है। आधुनिक लोकतंत्र कार्य करते हैं क्योंकि उन्हें स्वतंत्र संस्थान हैं और भारत में स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है। अब आरएसएस नाम की एक बड़ी मातृ संस्था है जो सभी भारतीय संस्थानों में प्रवेश कर रही है। एक भी ऐसी संस्था नहीं है जिसपर आरएसएस ने हमला न किया हो और यह एक व्यवस्थित रूप से किया गया है।

लोकतंत्र पर हो रहे हमले को लेकर राहुल गांधी ने कहा हमें संसद में बोलने की आजादी नहीं है; न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है; आरएसएस-भाजपा के पास बेतहाशा आर्थिक ताकत है; व्यवसायिकों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है। लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा-समझा हमला है।

कांग्रेस में जारी अंतर्कलह पर भी राहुल गांधी ने करारा जवाब दिया है। राहुल गांधी ने कहा मैं एक दशक से कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का पक्षधर रहा हूँ। मैंने युवा और छात्र संगठन में चुनाव को बढ़ावा दिया है। मैं पहला व्यक्ति हूँ, जिसने पार्टी में लोकतांत्रिक चुनावों को महत्वपूर्ण माना है। हमारे लिए कांग्रेस का मतलब आजादी के लिए लड़ने वाली संस्था; जिसने भारत को संविधान दिया है। हमारे लिए लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं बरकरार रखना महत्वपूर्ण है।

राहुल गांधी ने कहा कोई ये नहीं पूछ रहा कि भाजपा, बसपा या सपा में आंतरिक लोकतंत्र क्यों नहीं है? कांग्रेस से ये सवाल पूछने का कारण है- कांग्रेस की संवैधानिक और समानता वाली विचारधारा।

राहुल गांधी ने कहा एक राजनेता के रूप में मैं केवल अपना काम कर सकता हूं यदि मेरे पास संस्थागत समर्थन है; अगर मुझे न्यायपालिका, चुनाव आयोग जैसी संस्थानों का एक पूरी संख्या से समर्थन मिलता है - जो बातचीत और बहस की रक्षा कर सकता है तभी मैं अपना काम कर सकता हूं। मुझे एहसास नहीं हुआ था कि इस संस्थागत समर्थन के नहीं होने का क्या असर होता है पता तो तब चला जब मैनें इसका सामना किया। उदाहरण के लिए, संसद में बहस के दौरान, माइक बंद कर दिया जाता है।

चुनावों में हेरा फेरी पर भी राहुल गांधी ने संस्थानों और सरकारों को घेरा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा मुझे आश्चर्य होता था कि मुबारक 97% वोटों से चुनाव कैसे जीतता है। हो क्या रहा था कि केवल एक संस्थान था जो बाकि सभी संस्थानों को कंट्रोल कर रहा था। यही आज हम भारत में सामना कर रहे हैं। यहां भी सभी संस्थान एक निगरानी के तहत काम कर रहे हैं।

कांग्रेस पर उठ रहे सवालों पर राहुल गांधी ने कहा हमारे लिए कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाली संस्था के रूप में, जिसने भारत को संविधान दिया, यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतांत्रिक हैं और हमारे पास लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं।

राहुल गांधी ने आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए कहा आरएसएस अपने लोगों के साथ संस्थानों को भर रहा है। इसलिए भले ही हम उन्हें चुनावों में हरा दें, लेकिन हम संस्थागत ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा पाने वाले नहीं हैं। भारत के लिए बुरा सपना है कि वहमहाशक्तियों के बीच टकराव का रणक्षेत्र बन रहा है।

देश में हो रही मौजूदा दोफारोपण की राजनीति पर राहुल गांधी ने कहा एक राष्ट्र की एक स्मृति और एक लक्ष्य होता है। या तो आगे देखें और एक लक्ष्य बनाएं या पीछे की ओर देखें और यादों के बारे में बात करें। भारत में पूरी बहस वही है जो 300-700 साल पहले हुई थी। भारत के पास कोई लक्ष्य नहीं है जो आने वाले भविष्य को बेहतर बनाए। आप एक लक्ष्य का निर्माण किसी स्मृति पर नहीं कर सकते बल्कि आप इसका निर्माण कल्पना पर करते हैं। भारत की संपूर्ण राजनीति स्मृति बन गई है। इसे समाप्त करना ही होगा क्योंकि यह कोई समाधान नहीं देने वाला है।

बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए राहुल गांधी ने कहा हम बात करते हैं कि अब हमें क्या करना चाहिए। यही वह राजनीतिक और आर्थिक वार्तालाप है जो मैं करना चाहता हूं, लेकिन भाजपा को वह पसंद नहीं है क्योंकि वे उस बातचीत को नहीं कर सकते। मैं समझता हूं कि भारत में बहुत गुस्सा कहां से आ रहा है। हम नौकरियां पैदा नहीं कर रहे हैं। मैं समझ सकता हूं कि लोग भविष्य नहीं देख पा रहे हैं।

राहुल गांधी ने कहा देश में जो लोग धन को केंद्रित करने में कामयाब रहे हैं, उनके द्वारा छोटे और मध्यम व्यवसायों पर एक व्यवस्थित हमला किया जा रहा है। नोटंबंदी, जीएसटी को छोटे और मध्यम व्यवसायों को नष्ट करने के लिए लाया गया है।

राहुल गांधी ने कहा कि 1.3 बिलियन लोगों का देश सेवा उद्योग पर नहीं चल सकता है, हमें एक विनिर्माण रणनीति की आवश्यकता है। भारत को यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि 1990-2012 के बीच जो काम किया गया था वह अब काम नहीं कर रहा है और सरकार वर्तमान में जो करने की कोशिश कर रही है वह उस अवधारणा का विस्तार है। हमें स्वीकार करना होगा कि हमें विनिर्माण बुलेट को काटना होगा।

राहुल गांधी ने कहा जो हो रहा है वह समानता के विचार पर हमला है। आरएसएस ने यह हमला उनके स्कूलों से शुरू किया। कट्टरपंथी इस्लामवादी पाकिस्तान में अपने मदरसों का इस्तेमाल करते हैं, आरएसएस अपने स्कूलों का इस्तेमाल अपने विश्वदृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए करता है। नरेंद्र मोदी और आरएसएस जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह एक बार फिर से भारत पर जाति के विचार को सुदृढ़ करेगा। यही परियोजना है; यह कि हर किसी को अपना स्थान पता होना चाहिए- एक दलित, एक महिला, एक मुस्लिम, एक सिख को अपना स्थान जानना चाहिए।

कांग्रेस को लेकर राहुल गांधी ने कहा हम भारत की शक्ति को एक साथ लाएंगे। कांग्रेस पार्टी को भारतीय लोगों के सामने खुद को प्रस्तुत करना और उनसे जुड़ना है। कांग्रेस पार्टी को विनम्र होना चाहिए क्योंकि यह घमंड से लड़ रही है। हमें इसे कैसे बदलना चाहिए ये हमें पता है क्योंकि ये हमारे डीएनए में है। हम समझदार होंगे, हम अच्छे होंगे, हम अधिक दयालु होंगे। हम दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


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