सिख विरोधी दंगों में पुलिस की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई के विचार में सरकार
आयोग ने उल्लेख किया कि न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग द्वारा सैकड़ों हलफनामे प्राप्त किए गए थे, जिनमें दंगाइयों द्वारा हत्या, आगजनी, लूटपाट के संबंध में आरोपी व्यक्तियों के नाम थे

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद छिड़े 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित बंद पड़े 186 मामलों की फिर से जांच कर रहे न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा आयोग ने केस रिकॉर्ड नष्ट होने के बाद अपील में देरी के लिए अभियोजन पक्ष और पुलिस की निंदा की। केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने न्यायाधीश ढींगरा आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इन सिफारिशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, "दंगों से संबंधित आपराधिक मामलों को छिपाने के लिए पुलिस और प्रशासन का पूरा प्रयास रहा है।"
आयोग ने उल्लेख किया कि न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग द्वारा सैकड़ों हलफनामे प्राप्त किए गए थे, जिनमें दंगाइयों द्वारा हत्या, आगजनी, लूटपाट के संबंध में आरोपी व्यक्तियों के नाम थे।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि लापरवाही के कारण वर्षो से इस मामले की तह खुलने में देरी हुई है।
पीड़ितों के वकील हरप्रीत सिंह होरा के अनुसार, "पीड़ित शुरू से ही यह कहते रहे हैं कि पुलिस और अधिकारियों ने मिलीभगत से काम किया है। अब इस रिपोर्ट के निष्कर्षो ने इसे साबित कर दिया है।"
उन्होंने कहा, "यह मेरी कानूनी टीम के लिए एक लंबी लड़ाई होगी और मैं उन्हें न्याय दिलाने के लिए आखिर तक लडूंगा।"


