पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर की समस्या को दशकों लटकाए रखा : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की सत्ता में काबिज पूर्व की सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि वोट के लिए पूर्व की सरकारों ने पूर्वोत्तर समेत विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं का दशकों समाधान नहीं किया

कोकराझार (असम)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में काबिज पूर्व की सरकारों की आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि वोट के लिए पूर्व की सरकारों ने पूर्वोत्तर समेत विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं का दशकों तक समाधान नहीं किया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर इलाके के लोगों के एक वर्ग की उपेक्षा के इस रवैये के कारण भारत के संविधान और लोकतंत्र में लोगों का विश्वास समाप्त होने लगा।
गुवाहाटी से 216 किलोमीटर दूर यहां आयोजित तीसरी बोडो शांति समझौता समारोह में उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "राष्ट्र के सामने कई समस्याएं हैं जिन्हें राजनीतिक व सामाजिक मतलबों के लिए नजरंदाज किया गया। इन समस्याओं से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा, अस्थिरता और अविश्वास को बढ़ावा मिला। यह सिलसिला देश में दशकों तक चलता रहा।"
मोदी ने कहा कि 2014 में भाजपा की अगुवाई में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार के सत्ता में आने से पहले पूर्वोत्तर को अछूता क्षेत्र माना जाता था इसलिए प्रतिरोधों, आंदोलनों, नाकाबंदी और हिंसा की संस्कृति में बदलाव लाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया।
मोदी ने कहा, "इस रवैये के कारण पूर्वोत्तर के हमारे कुछ भाई-बहनों की उपेक्षा हुई और संविधान व लोकतंत्र में उनका विश्वास समाप्त होने लगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ दशकों में हजारों लोग व सुरक्षाकर्मी मारे गए और लाखों बेघर हुए और करोड़ों लोग विकास से महरूम रहे।
उन्होंने कहा, "पूर्व की सरकारें भी इन हकीकतों से परिचित थीं और वे इन हकीकतों को स्वीकार करती थीं, लेकिन उन सरकारों ने हालात बदलने की कोशिश नहीं की।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों की आकांक्षाओं और भावनाओं को भांपते हुए क्षेत्र के संवेदनशील मुद्दों को लेकर नया दृष्टिकोण अपनाया है।
उन्होंने कहा, "हमने उनको अपना समझते हुए उनसे संवाद का चैनल स्थापित किया ताकि उनको भी अपनापन महसूस हो। इससे पूर्वोत्तर में उग्रवाद को काबू करने में मदद मिली।"
उन्होंने कहा कि जहां पूर्व के वर्षो के दौरान पूर्वोत्तर में उग्रवाद के कारण करीब 1,000 लोग मारे गए वहां अब स्थिति करीब-करीब शांतिपूर्ण है।


