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पंजाब में पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर एक्शन नहीं लिया : अमन अरोड़ा

पंजाब विधानसभा में बेअदबी के खिलाफ लाया गया विधेयक पारित नहीं हो पाया

पंजाब में पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर एक्शन नहीं लिया : अमन अरोड़ा
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चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में बेअदबी के खिलाफ लाया गया विधेयक पारित नहीं हो पाया। अब इस बिल को सर्वसम्मति से प्रवर समिति के पास भेजा गया है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दलों की आलोचना की और कहा कि पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर एक्शन नहीं लिया।

अमन अरोड़ा ने सत्र के दौरान सदन में आकर मीडिया को संबोधित किया। उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी और विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि सदन में यह स्पष्ट हो गया है कि कैसे कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के नेता सरदार प्रताप सिंह बाजवा पिछले कई दिनों से गुरु ग्रंथ साहब जी की बेअदबी, बहबलकला में गोलीबारी और बरगाड़ी में लाठीचार्ज की घटनाओं पर झूठ बोल रहे हैं और 'आप' सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर कुछ नहीं किया। जब वर्ष 2022 में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार सत्ता में आई, तो चालान अदालत में पेश किया गया।

कोटकपूरा की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एसआईटी ने 2019-2021 तक चार चालान जारी किए थे। उस समय बादल सरकार थी। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में उस घटना पर अपनी भूमिका का उल्लेख नहीं किया है। जिस तरह से उन्हें इससे बचाया गया। हमारी एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुमेध सिंह सैनी और अन्य पांच लोगों यानी कुल सात लोगों का नाम लिया था।

उन्होंने कहा कि प्रताप सिंह बाजवा ने यह कहकर ध्यान भटकाने की कोशिश की कि कोटकपूरा की रिपोर्ट के अनुसार मामला उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने बादलों को संरक्षण दिया है।

मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ विधानसभा में विधेयक पेश किया, जिस पर सदन में चर्चा हुई। सार्थक चर्चा के बाद इसे कमेटी को भेजा गया है, जो इस बिल पर अपनी फाइंडिंग देंगे। इसके बाद कानून बनेगा।

वहीं, 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद्द करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भर्ती पूर्व की सरकार में हुई थी, जिस पर बहुत से ऑब्जेक्शन उठे थे। उसके बाद भी सरकार ने इसको रद्द नहीं किया, 2022 में यह भर्ती रिजेक्ट हो गई थी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इसको ठीक करके हम एक याचिका के माध्यम से गए थे। हाईकोर्ट ने भर्ती को इफेक्टिव कर दिया था। इसके बाद सभी को भर्ती किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसे रद्द करते हुए राजनीति से प्रेरित बताया है, अब पंजाब सरकार लीगल ऑप्शन अपनाएगी।


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