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'वोट चोरी' के बाद दूसरे अधिकार भी नहीं रहेंगे सुरक्षित : दीपांकर भट्टाचार्य

बिहार में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्‍व में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली जा रही है। इस यात्रा के दौरान सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों में जबरदस्‍त उत्‍साह है

वोट चोरी के बाद दूसरे अधिकार भी नहीं रहेंगे सुरक्षित : दीपांकर भट्टाचार्य
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'वोटर अधिकार यात्रा' में लोगों में दिखा जबरदस्‍त उत्‍साह - दीपांकर भट्टाचार्य

नवादा। बिहार में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्‍व में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली जा रही है। इस यात्रा के दौरान सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों में जबरदस्‍त उत्‍साह है।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि यात्रा को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है, उम्मीद से भी ज्‍यादा। पिछले साल हमने नवादा से पटना तक एक पदयात्रा की थी और लोगों में मंत्रियों और नेताओं के प्रति व्यापक गुस्सा और निराशा देखी थी। यहां दलितों का उत्‍पीड़न हो रहा है। सासाराम और बिहार शरीफ में दंगा फैलाने की कोशिश की गई है। बिहार में बदलाव को लेकर लोगों में एक उम्‍मीद है।

भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों में एसआईआर के जरिए 'वोट चोरी' होने पर आक्रोश है। आकांक्षा और आक्रोश दोनों प्रयास एक साथ हो रहे हैं। आप सड़कों पर जो देख रहे हैं, वह अप्रत्याशित है। हर पंचायत और बूथ स्तर पर लोग मतदाता सूची की जांच कर रहे हैं कि कौन शामिल है और कौन नहीं। लोकतंत्र में अगर मताधिकार छिन जाए तो बाकी अधिकार कैसे सुरक्षित हो सकते हैं? इन बातों को जनता समझ रही है।

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि इस यात्रा की कामयाबी में बिहार की जनता का बड़ा योगदान है। भाजपा और चुनाव आयोग भारी भीड़ को देखकर सकते में हैं। 'वोट-चोर, गद्दी छोड़' का नारा सड़कों पर सुनाई दे रहा है। पहले बिहार और उसके बाद देश में गद्दी छुड़वाएंगे। संविधान के तहत मिलने वाले मताधिकार को किसी भी हालत में छीनने नहीं देंगे। यह लड़ाई संविधान के अधिकार की है। यह राहुल गांधी के नेतृत्‍व में लड़ी जा रही है। इस यात्रा से भाजपा में बौखलाहट है। एक वोट रोजगार, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य का अधिकार देता है। हम 'वोट चोरी' को रोककर रोजगार बचाने आए हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने स्कूलों की हालत देखी है। मैंने कई सरकारी स्कूलों का दौरा किया है। बच्चों के पास यूनिफॉर्म, जूते और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है, लेकिन जो लोग पढ़ाई नहीं कर पाए, जिनकी उम्र 40-45 साल है, वे भी जानकार और जागरूक हैं। वे राहुल गांधी की यात्रा को देख, समझ और सुन रहे हैं ताकि जान सकें कि क्या हो रहा है।


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