Top
Begin typing your search above and press return to search.

अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र, सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में भ्रष्टाचार की जांच की मांग

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य के सरकारी नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और अमानवीय व्यवहार की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है

अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र, सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में भ्रष्टाचार की जांच की मांग
X

कोलकाता। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य के सरकारी नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और अमानवीय व्यवहार की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस की मिलीभगत से इन केंद्रों में निर्दोष लोगों को जबरन रखा जा रहा है और उनसे भारी रकम वसूली जा रही है।

पत्र में अधीर रंजन चौधरी ने लिखा है कि उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि राज्य के विभिन्न थानों से हिरासत में लिए गए लोगों को बिना किसी ठोस कारण के नशा मुक्ति केंद्रों में भेजने का चलन बढ़ रहा है। जबकि इन केंद्रों का उद्देश्य नशा करने वालों का उपचार और पुनर्वास होना चाहिए, वहां अब इसे कमाई का जरिया बना दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पुलिस थानों और नशा मुक्ति केंद्रों के बीच आर्थिक लेन-देन होता है और "डी-एडिक्शन" के नाम पर खुलेआम लूट हो रही है। चौधरी के मुताबिक इन केंद्रों में रखे गए लोगों को मानसिक यातना दी जाती है। उन्हें दो वर्गों में बांटकर ‘पेशेंट रूम’ और ‘पनिशमेंट रूम’ में रखा जाता है। पेशेंट रूम में रहने के लिए तीन महीने की एडवांस फीस वसूली जाती है और अगर व्यक्ति उससे पहले छोड़ा जाए, तो राशि वापस नहीं की जाती।

वहीं, पनिशमेंट रूम में बंद लोगों के साथ क्रूरता की जाती है। उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं दिया जाता, चार लोगों को एक साथ 1-2 मिनट के भीतर नग्न अवस्था में स्नान करने के लिए मजबूर किया जाता है और शौचालय उपयोग की अनुमति हर 3 घंटे में केवल एक बार मिलती है।

अधीर रंजन चौधरी ने लिखा कि इन केंद्रों में पीने का पानी तक बदबूदार और अस्वच्छ है और जब परिवार वाले मुलाकात के लिए आते हैं तो 400 रुपए का शुल्क लिया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति से 24,000 से 47,000 रुपए तक की भारी रकम वसूली जाती है और रिहाई के समय 10,000 से 15,000 रुपए अतिरिक्त लिए जाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कई निर्दोष लोग जिन्हें नशे की कोई लत नहीं है, उन्हें भी जबरन इन केंद्रों में भेजा जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह संगठित अपराध पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। अधीर रंजन चौधरी ने ‘डिशा होम’ नामक केंद्र का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो मुर्शिदाबाद के पंचनंतला, बहारामपुर के पास स्थित है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और गहन जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, चाहे वे पुलिसकर्मी हों या अन्य कोई अधिकारी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it