मध्यप्रदेश सरकार में मीसाबंदियों की पेंशन रोकने पर राजनीति गर्म
कांग्रेस सरकार के मीसाबंदियों की पेंशन रोकने पर मध्यप्रदेश में राजनीति गर्म

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की नवनिर्वाचित सरकार द्वारा लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के भुगतान में बजट प्रावधान से अधिक खर्च होने का हवाला देते हुए इसकी प्रक्रिया दोबारा निर्धारित करने और अगले महीने से मीसाबंदियों की पेंशन रोके जाने का आदेश सामने आने पर प्रदेश में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
करीब चार दिन पुराना ये आदेश आज मीडिया में सामने आने पर भारतीय जनता पार्टी नेे इसके विरोध में संघर्ष करने की बात कही है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि मामले में गड़बड़ियों की शिकायत के बाद सरकार ने इसके निरीक्षण का निर्णय किया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार के पास इस से जुड़ी हेराफेरी की स्पष्ट शिकायतें आईं थीं। कई ऐसे लोग जो आपातकाल के समय किन्हीं अन्य मामलों में भी जेल में बंद थे, उनके भी हेराफेरी से ये सम्मान निधि लिए जाने की शिकायतों के बाद सरकार ने इसका निरीक्षण करने का फैसला किया है। निरीक्षण के बाद इस बारे में आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ट्वीट किया कि मीसाबंदियों ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी कुचलने के विरोध में संघर्ष किया, लेकिन कांग्रेस सरकार में उन्हें अपराधी कहकर अपमानित किया जा रहा है। इसके खिलाफ जमकर संघर्ष होगा।
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक लोकतंत्र सेनानियों के सत्यापन के साथ उन्हें दी जाने वाली सम्मान निधि के भुगतान की प्रक्रिया दोबारा निर्धारित की जाएगी। ऐसे में अगले महीने से इस निधि का वितरण ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही किया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्षों में इस निधि के भुगतान में बजट से अधिक राशि खर्च होने की बात सामने आई है। ऐसे में इस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाना और लोकतंत्र सेनानियों का सत्यापन कराना जरूरी है। सभी आयुक्तों और कलेक्टरों को जारी इस आदेश में कहा गया है कि ये कार्यवाही होने के बाद ही इस राशि का भुगतान किया जाए।
आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत जेल में बंद हुए लोगों को राज्य में सम्मान निधि दिए जाने का प्रावधान है। राज्य में दो हजार से ज्यादा मीसाबंदियों को 25-25 हजार रूपए की ये पेंशन दी जाती है।


