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पवन खेड़ा ने विवेकानंद के शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक भाषण से की राहुल गांधी के संसद में संबोधन की तुलना

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने भगवान शिव की तस्वीर लेकर हिंदू और हिंसा से जुड़ा बयान दिया

पवन खेड़ा ने विवेकानंद के शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक भाषण से की राहुल गांधी के संसद में संबोधन की तुलना
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नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने भगवान शिव की तस्वीर लेकर हिंदू और हिंसा से जुड़ा बयान दिया। राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा करते हैं। एक तरफ जहां राहुल गांधी के इस बयान को लेकर भाजपा ने उनको निशाने पर लिया है, वहीं कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के बचाव में आ गई है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया। उन्होंने राहुल के लोकसभा में दिए गए पहले भाषण की तुलना स्वामी विवेकानंद द्वारा वर्षों पहले शिकागो में दिए गए स्पीच से की।

पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने कल संसद में एक ऐसा आईना दिखाया, जिस आईने को देखकर कुछ लोगों को अपना वीभत्स चेहरा सामने दिखाई दिया। आईना झूठ नहीं बोलता, आईना हकीकत बयां करता है। राहुल गांधी ने हिंदू विचार की व्याख्या की। उस विचार की व्याख्या सुनकर भारतीय जनता पार्टी के पांव तले जमीन खिंसक गई। हिंदू विचार में अहिंसा है, सत्य है। भाजपा में ये चीजें कहां दिखती हैं। स्वयंभू ठेकेदार बनकर इस विशाल हिंदू विचार को कैद करना चाहते हैं। गंगा कहां से शुरू होती है और कहां पर खत्म होती है, क्या इसका उत्तर किसी के पास है। जो गंगोत्री से बहना शुरू करे और सागर में चली जाए, सिर्फ वो गंगा नहीं है। क्या आप गंगा को कैद कर सकते हो, क्या आप हिंदू विचार को कैद कर सकते हो।

भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा में कल राहुल गांधी के ऐतिहासिक भाषण की तुलना करूं तो स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में जाकर भाषण दिया था, लगभग उसके करीब आता है। आप समाज में विष घोलते हैं, भगवान शिव विष पी जाते हैं। तभी आपको अटपटा और बुरा लगा जब राहुल गांधी ने संसद में भगवान शिव की तस्वीर आपके सामने दिखाई। उस तस्वीर में आपको क्या दिखा। आपकी कितनी संर्कीण सोच है। आप एक विशाल नदी को बांधना चाहते हैं, प्रयास भी मत कीजिएगा, ये नदी बहती रहेगी। इस बहाव में ऋषि मुनियों की तपस्या है, हमारे पूर्वजों के जीवन संघर्ष की कहानी है। गंगा की तरह यह विचार बहता है तो स्वच्छ रहता है। इसे कई लोगों ने रोकने की कोशिश की। यह नहीं रुका। यह बहता रहा। यह विचार किसी पुस्तक, अनुष्ठान, आस्था, धर्म आदि में कैद नहीं किया जा सका। यह विचार हमारी माटी की जीवन शक्ति से उत्पन्न विचार है। हम हिंदू विचार को भाजपा की संकीर्णता में कैद नहीं होने देंगे।''


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