बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक चिंतित
राजधानी के बजट स्कूलों को बचाने के प्रयास में जुटे स्कूल प्रबंधक और हजारों गरीब बच्चे अब गुरुवार को महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर पहुंच कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से स्कूलों को बंद न

नई दिल्ली। राजधानी के बजट स्कूलों को बचाने के प्रयास में जुटे स्कूल प्रबंधक और हजारों गरीब बच्चे अब गुरुवार को महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर पहुंच कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से स्कूलों को बंद न करने की अपील करेंगे।
इससे पहले ये बच्चे अपनी मांगों को लेकर फरवरी में मुख्यमंत्री आवास पर गुहार लगा चुके हैं तो वहीं मार्च के पहले सप्ताह में भी तीन हजार से अधिक स्कूलों के बच्चों ने अपने-अपने स्कूलों के बाहर मानव श्रृंखला बनाकर अपनी आवाज को जन-जन तक पहुंचा चुके हैं।
दरसअल इस शिक्षा सत्र के समाप्त होने में मात्र 15 दिन बचे हैं और ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ-साथ इनके अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में जगह नहीं जबकि बड़े-बड़े पब्लिक स्कूलों की फीस इन बच्चों के गरीब मां-बाप दे नहीं सकते। इस स्थिति में लाखों बच्चे शिक्षा के अपने मौलिक अधिकार से वंचित हो जाएंगे।
मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 बच्चों को उसके शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है उसी कानून की धारा-6 का सहारा लेकर दिल्ली सरकार लाखों बच्चों के स्कूलों को बन्द करने पर आमादा है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने फरवरी में दिल्ली में चल रहे लगभग तीन हजार गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को 31 मार्च 2018 तक बंद करने का आदेश दिया है क्योंकि 1 अप्रैल 2010 से मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून 2009 की धारा 18 व 19 के अनुसार सभी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को कानून लागू होने के तीन वर्ष के अन्तर्गत मान्यता लेनी आवश्यक है।
बातया जाता है कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से लाखों अभिभावकों की दिन रात की नींद उड़ी हुई है क्योंकि सरकारी स्कूलों में जगह नहीं जबकि पब्लिक स्कूलों की फीस वह दे नहीं सकते। नए सिरे से स्कूलों की ड्रेस, जूते-जुराब, कापी-किताबें खरीदने से उनकी कमर टूट जाएगी जिसका बोझ उन अभिभावकों के लिए तो बहुत ही मुश्किल है जिनके लिए एक से ज्यादा बच्चे इन छोटे-छोटे स्कूलों में पढ़ते हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि ये स्कूल कम फीस में सरकारी स्कूलों से बेहतर शिक्षा दे रहे हैं जिनसे हम संतुष्ट हैं।
ड्रीम रोज केमरिज स्कूल की एक शिक्षिका नेे बताया कि उसके पिता नहीं हैं वो आगे बीएड की पढ़ाई कर रही है। इस स्कूल में पढ़ाने से उसकी पढ़ाई का खर्चा निकल जाता है अगर यह स्कूल बंद हो जाता है तो आगे उसे अपनी पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
इन गली मौहल्लों में चलने वाले स्कूलों में कम फीस में सरकार से बेहतर शिक्षा दी जाती है जिनसे अभिभावक और बच्चों की जान आफत में आ गई है। बच्चों ने 7 फरवरी, 2018 के दिल्ली सरकार के आदेश को वापस लिए जाने की मांग की।
बच्चों के हाथों में नारे लिखी तख्ती थी कि हमारे माता पिता-बड़े, महंगे स्कूलों की फीस नहीं दे नहीं सकते, सरकारी स्कूलों में जगह नहीं है हम कहां पढ़ें, सरकारी स्कूलों पर सरकार हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है इस आदेश के कारण कई लाख बच्चों के स्कूल बंद हो जाएंगे जिसको दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में दाखिला नहीं दे सकती है। दिल्ली सरकार के अपने स्कूलों में एक-एक कक्षा में 150 से ज्यादा बच्चे हैं।
इन बच्चों के स्कूलों को बन्द करने से उत्पन्न स्थिति बड़ी विकट हो जाएगी। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल्स मैनेजमेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री दिल्ली, शिक्षा मंत्री दिल्ली, शिक्षा सचिव दिल्ली व शिक्षा निदेशक दिल्ली सरकार को इस संकट से पहले ही अवगत करा दिया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से लाखों अभिभावकों की दिन रात की नींद उड़ी हुई है क्योंकि सरकारी स्कूलों में जगह नहीं जबकि पब्लिक स्कूलों की फीस वह दे नहीं सकते।


