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उप्र : मुकदमों की वापसी के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मुकदमों की वापसी को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोक होती रही। सदन में खूब हंगामा हुआ

उप्र : मुकदमों की वापसी के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को मुकदमों की वापसी को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोक होती रही। सदन में खूब हंगामा हुआ।

एक ओर जहां सरकार की तरफ से कहा गया कि दलगत भावना से हटकर राजनीतिक मुकदमों को वापस लिया गया है, जबकि पिछली सरकार में आतंकवाद से जुड़े लोगों के मुकदमे वापस लिए गए थे, वहीं विपक्ष का आरोप था कि सत्तापक्ष अपनी सरकार में वापस लिए गए मुकदमों का उल्लेख न करके सवाल का जवाब देने से बच रही है। इसके बाद दोनों पक्षों की तरफ से कई तरह के सवाल जवाब होते रहे, जिसके कारण पूरा सदन अव्यवस्थित हो गया।

विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के हस्तक्षेप के बाद ही सदन व्यवस्थित हो सका। प्रश्नकाल के दौरान बहुजन समाज पार्टी के सदस्य श्याम सुंदर शर्मा ने सवाल किया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से जुलाई 2020 तक राज्य सरकार द्वारा किन किन व्यक्तियों के मुकदमे वापस लिए गए और इनमें से कितने मुकदमे राजनैतिक श्रेणी के हैं।

जवाब में न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2017 से 20 जुलाई 2020 तक 670 मुकदमे वापस लिए जाने की संस्तुति जनहित में की गई है। ये मुकदमे सामान्यत: राजनेताओं एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं से संबंधित हैं। भारतीय दंड संहिता एवं दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत राजनीतिक श्रेणी के मुकदमों को परिभाषित नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस सरकार और पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार में काफी अंतर है। यह सरकार दलगत भावना के आधार पर काम नहीं करती है। सरकार ने केवल राजनीतिक मुकदमों को वापस लेने का काम किया है, जबकि पूर्ववर्ती सरकार में आतंकवादियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया गया।

विधि एवं न्याय मंत्री के इतना कहते ही सपा के सदस्यों शोरशराबा कर हंगामा शुरू दिया। इसके चलते सदन की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही। सपा के विधायक उत्तेजित होकर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। शोर-शराबे और हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि बसपा सदस्य श्याम सुंदर शर्मा ने जो सवाल किया, उसका उत्तर न देकर सदन को गुमराह किया जा रहा है।

बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने नेता प्रतिपक्ष चौधरी की बात से सहमति जताते हुए कहा कि यहां इस सरकार के कामकाज की बात हो रही है, पिछली सरकार की नहीं। इसलिए सदन में जो सवाल पूछा गया है उसका ही उत्तर दिया जाना चाहिए।

इस पर कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि इस सरकार में एक प्रक्रिया के तहत ही मुकदमों की वापसी हुई है, जबकि पिछली सरकार में वाराणसी, बिजनौर, गोरखपुर और लखनऊ में आतंकवाद से जुड़े अपराधियों के मुकदमे वापस किए गए थे।

इस पर सदन में शोर-शराबा एक बार फिर बढ़ गया और दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ जमकर आरोप लगाए गए। कार्य स्थगन के प्रस्ताव पर मंहगाई पर चर्चा करते हुए विपक्ष ने आरोप लगाए कि सरकार जनविरोधी और बेरोजगार विरोधी है। इस सरकार ने जनता पर करों का बोझ लादकर कार्पोरेट घरानों की जेब भरी है।

सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अनुसार ही पेट्रोल-डीजल के दाम तय होते हैं, इसमें राज्य सरकार की भूमिका नहीं होती। सत्तापक्ष के इस जवाब से नाराज होकर से समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने वाकआउट किया।

नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चैधरी ने कहा कि रसोई गैस के दाम फिर बढ़ा दिए गए हैं। सब्सिडी लोगों के खातों में नहीं आ रही है। हर जिले में रसोई गैस के दाम अलग-अलग हैं।

नेता प्रतिपक्ष के आरोप के बाद संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस सरकार का हमेशा यही प्रयास रहता है कि किसी भी प्रकार से जनता पर मंहगाई का बोझ न पड़े और उसी के अनुरूप सरकार अपनी नीतियों पर काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के पास गलत सूचनाएं हैं, जबकि लोगों की जेब पर बोझ न पड़े और गरीब पर मंहगाई का भार न पड़े, इसी दिशा में प्रदेश सरकार काम कर रही है। सरकार के जवाब से अंसतुष्ट होकर सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

कार्यस्थगन प्रस्ताव पर बहुजन समाज पार्टी के लालजी वर्मा ने राज्य सरकार पर परीक्षाओं में आरक्षण का लाभ न दिए जाने का आरोप लगाया।


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