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दिल्ली से जुड़े विधेयक पर विपक्ष ने की सरकार की आलोचना, अध्‍यादेश की जरूरत पर उठाये सवाल

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को लेकर केंद्र पर जमकर हमला बोला

दिल्ली से जुड़े विधेयक पर विपक्ष ने की सरकार की आलोचना, अध्‍यादेश की जरूरत पर उठाये सवाल
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नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को लेकर केंद्र पर जमकर हमला बोला।

सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि नौकरशाहों पर नियंत्रण को लेकर चल रही खींचतान में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिए जाने के छह दिन के भीतर अध्यादेश जारी करने की क्या जरूरत थी।

उन्होंने कहा कि विपक्ष को संदेह है कि अगर दिल्ली के लिए चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनने वाला विधेयक लाया जा सकता है, तो केंद्र अन्य राज्यों पर भी 'हमला' कर सकता है।

चौधरी ने पूछा, "अगर आपको लगता है कि दिल्ली में घोटाले हो रहे हैं, तो आपके पास ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां भी हैं। क्या कथित घोटालों के कारण ऐसा विधेयक लाना जरूरी था।"

व्यंग्यात्मक टिप्पणी में, चौधरी ने कहा कि उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा की है।

कांग्रेस सांसद ने कहा, "मुझे विश्वास नहीं हुआ कि यह दिन था या रात जब मैंने हमारे अमित शाह जी को जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा करते हुए सुना। मैंने सोचा कि मुझे उनके पास दौड़ना चाहिए और उनका मुंह मीठा करना चाहिए क्योंकि उनके मुंह से नेहरू और कांग्रेस की प्रशंसा हो रही थी। मेरे लिए यह सुखद आश्चर्य है।''

वह विधेयक पर चर्चा शुरू करते समय शाह की टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे, जहां उन्होंने दावा किया था कि नेहरू, सरदार पटेल, सी. राजगोपालाचारी और यहां तक कि बी.आर. अंबेडकर भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थे।

हालाँकि, शाह ने चौधरी को टोकते हुए कहा कि उन्होंने नेहरू की प्रशंसा नहीं की है।

गृह मंत्री ने कहा, "मैंने पंडित नेहरू की प्रशंसा नहीं की है। मैंने तो बस वही उद्धृत किया है जो उन्होंने कहा है। अगर वे इसे प्रशंसा मानना चाहते हैं तो मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।"

चौधरी ने जवाब दिया, "जब भी आपको जरूरत होती है तो आप नेहरू (की बातों) का समर्थन लेते हैं। अगर आपने यह सब किया होता, तो हमें मणिपुर और हरियाणा जैसी घटनाएं नहीं देखनी पड़तीं। यह दिल्ली है और यह हमारा दिल है।"

चौधरी ने परोक्ष रूप से बीजद सांसद पिनाकी मिश्रा पर भी हमला किया, जिन्होंने 1 अगस्त को विधेयक पर अपनी पार्टी के समर्थन का संकेत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा था कि संसद दिल्ली पर कानून बनाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि कुछ "तेजतर्रार और विद्वान" सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया था।

उन्होंने कहा, "हो सकता है कि हम उनकी तरह आकर्षक न हों, लेकिन हम जानते हैं कि यह विधेयक देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।"

द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने भी विधेयक का विरोध किया और राज्यों के मामलों में राज्यपालों के नियमित हस्तक्षेप पर हमला किया।

उन्होंने कहा कि दिल्‍ली सरकार की शक्तियों को प्रतिबंधित करने वाले इस विधेयक को लाने के पीछे पिछले 25 वर्षों से दिल्ली में जीत हासिल नहीं कर पाने की भाजपा की 'हताशा' दिखाई दे रही है।

मारन ने कहा कि यह हताशा केंद्र को ईडी और सीबीआई जैसे अपने सहयोगियों को विपक्ष पर थोपने के लिए मजबूर कर रही है।

उन्होंने केंद्र को आगाह किया कि वह राज्यपालों को शैतान न बनाए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मारन से उनकी टिप्पणी के लिए माफी की मांग की। इसे लेकर द्रमुक सदस्यों तथा सत्ता पक्ष के बीच बहस हुई और इसके बाद द्रमुक सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक ''दुर्भावनापूर्ण कानून'' है।

उन्होंने कहा कि जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए, जिसे यह विधेयक नष्ट करना चाहता है।


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