24 सितंबर के ताजा समाचार और अपडेट्स
-ट्रंप ने यूएन भाषण में भारत और चीन पर साधा निशाना - दिल्ली के एक आश्रम प्रमुख पर 17 छात्राओं ने लगाया उत्पीड़न का आरोप - ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन को "ठगी" बताया, वैज्ञानिकों की राय अलग

दिनभर की तमाम ब्रेकिंग न्यूज और अपडेट्स
-ट्रंप ने यूएन भाषण में भारत और चीन पर साधा निशाना
- दिल्ली के एक आश्रम प्रमुख पर 17 छात्राओं ने लगाया उत्पीड़न का आरोप
- ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन को "ठगी" बताया, वैज्ञानिकों की राय अलग
युद्ध रुकवा दिया तो ट्रंप को नोबल प्राइज के लिए नामित करेंगे: जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रूस की यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग को खत्म करवा दें, तो देशवासी उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करना चाहेंगे. जेलेंस्की ने कहा, "ट्रंप के पास इस युद्ध को खत्म करने का मौका है. अगर वह इसे खत्म करते हैं- तो मुझे पूरा यकीन है कि सभी यूक्रेनी खुशी से ऐसा करेंगे [उन्हें नामित करेंगे]. क्योंकि यह एक अविश्वसनीय मिशन है- इसे खत्म करना."
न्यूयॉर्क में एक आयोजन के दौरान ट्रंप से अपनी मुलाकात पर जेलेंस्की ने कहा, "आज हमारी बहुत अच्छी मुलाकात हुई...अभी विस्तृत बात करना जल्दबाजी होगी. लेकिन शायद यह सबसे ठोस बैठक थी." जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह चाहेंगे कि जेलेंस्की उन्हें नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामित करें, तो उन्होंने जवाब दिया: "क्यों नहीं."
वहीं मंगलवार, 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बात रखते हुए जेलेंस्की ने कहा कि चीन, रूस पर दबाव डालकर उसे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोकने के लिए मजबूर कर सकता है. जेलेंस्की ने परिषद से कहा, "अगर चीन सच में इस युद्ध को रोकना चाहता, तो वह मॉस्को को हमला रोकने पर मजबूर कर सकता है. चीन के बिना पुतिन का रूस कुछ भी नहीं है."
चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और यूक्रेन युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं है. यूक्रेन, चीन की ओर से रूस को मदद मिलने की बात कहता आया है और इसकी लगातार आलोचना करता रहा है.
ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन को "ठगी" बताया, वैज्ञानिकों की राय अलग
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अक्षय ऊर्जा और माइग्रेशन नीतियों की कड़ी आलोचना की. उन्होंने अक्षय ऊर्जा को "मजाक" बताया और कहा इंसानों गतिविधियों की वजह से जलवायु परिवर्तन का विचार "अब तक की सबसे बड़ी ठगी" है. जलवायु परिवर्तन को नकारना वैज्ञानिक राय के बिल्कुल उलट है. दुनिया के बहुतायत वैज्ञानिक मानते हैं कि जीवाश्म ईंधन व जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और इंसानों के लिए बेहद विनाशकारी साबित होंगे.
ट्रंप ने दूसरे देशों पर प्रदूषण नियम तोड़ने का आरोप लगाया, जबकि अमेरिका खुद दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषकों में से एक है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने "खुली सीमा" वाली माइग्रेशन नीतियों की फिर से आलोचना की. ट्रंप ने कहा, "आप्रवासन और तथाकथित हरित, अक्षय ऊर्जा की ऊंची कीमतें, आजाद दुनिया के बड़े हिस्से और हमारी पृथ्वी के बड़े हिस्से को बर्बाद कर रही हैं. जो देश स्वतंत्रता को महत्व देते हैं, वे तेजी से कमजोर हो रहे हैं."
उन्होंने अपने लगभग एक घंटे लंबे भाषण का समापन करते हुए कहा, "अगर हमें फिर से महान बनना है तो हमें मजबूत सीमाओं और पारंपरिक ऊर्जा (जीवाश्म ईंधन) साधनों की जरूरत है." ट्रंप का भाषण यूएन की ओर से हर वक्ता को दिए गए 15 मिनट से कहीं ज्यादा लंबा था.
दिल्ली के एक आश्रम प्रमुख पर 17 छात्राओं ने लगाया उत्पीड़न का आरोप
दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में स्थित एक आश्रम के प्रमुख पर 17 छात्राओं ने उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिसके बाद आरोपी फरार हो गया है. इंडिया टुडे के मुताबिक, स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती दिल्ली स्थित ‘श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट’ में निदेशक था. वहां से ‘पोस्ट-ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट’ (पीजीडीएम) की पढ़ाई कर रही छात्राओं ने ये आरोप लगाए हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, 4 अगस्त को आरोपी के खिलाफ दिल्ली के वसंतकुंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई थी. पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए, जिनमें से 17 ने चैतन्यानंद पर गंदी भाषा का इस्तेमाल करने, वॉट्सऐप या एसएमएस पर अश्लील मैसेज करने और गलत नीयत से छूने का आरोप लगाया.
पुलिस ने घटनास्थल और आरोपी के पते पर कई बार छापेमारी की. लेकिन आरोपी अभी तक पकड़ में नहीं आया है. पुलिस को संस्थान के बेसमेंट में एक वॉल्वो कार खड़ी मिली, जिसपर फर्जी राजनयिक नंबर प्लेट लगी हुई थी. चैतन्यानंद को संस्थान के निदेशक के पद से भी हटा दिया गया है.
भारत, चीन, यूरोप और यूएन- सभी ट्रंप के निशाने पर
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 80वीं महासभा को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने करीब 1 घंटे तक भाषण दिया. इस दौरान रूस, चीन, भारत, यूरोप और खुद संयुक्त राष्ट्र, ट्रंप के निशाने पर रहा. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मकसद पर सवाल उठाया और कहा कि यूएन में "बहुत सारी संभावना" है, जिसे अभी तक हकीकत में नहीं बदला गया है.
ट्रंप ने कहा, "खाली बातें युद्ध नहीं रोकतीं". उनकी बातों से ऐसा लगा, जैसे वह संगठन पर कुछ न करने का आरोप लगा रहे हों. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्होंने सात युद्ध रोककर "लाखों जिंदगियां" बचाई हैं, जिनमें भारत-पाकिस्तान तनाव का भी जिक्र था.
ट्रंप ने चीन और भारत की भी आलोचना की. कहा कि वे रूस से कारोबार जारी रखकर "यूक्रेन में जंग के लिए पैसा मुहैया" करा रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने यूरोपीय सहयोगियों को भी रूस का तेल और गैस खरीदते रहने के लिए निशाने पर लिया. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि "यूरोपीय देश, अपने खिलाफ युद्ध के लिए खुद ही पैसा मुहैया करवा रहे हैं."
उन्होंने ईरान पर सीधा निशाना साधते हुए उसे "दुनिया का नंबर एक आतंक समर्थक देश" कहा और तेहरान को उस परमाणु समझौते को खत्म करने का जिम्मेदार ठहराया, जिससे वह अपने पहले कार्यकाल में खुद पीछे हट चुके थे.
ट्रंप ने हमास से गाजा में पकड़े गए इस्राएली बंधकों को रिहा करने की अपील की, जिस पर हल्की तालियां बजीं. उन्होंने यह भी कहा कि "गाजा की लड़ाई बंद होनी चाहिए." लेकिन उन्होंने पश्चिमी देशों की हालिया घोषणाओं की आलोचना की, जिनमें फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई. उन्होंने कहा कि यह कदम हमास के लिए "इनाम" जैसा है.
उन्होंने "अनियंत्रित पलायन" को मौजूदा समय की सबसे बड़ी समस्या बताया और यूएन पर इसे फंड करने का आरोप लगाया. हालांकि, उन्होंने इस दावे के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर वक्ता को बोलने के लिए 15 मिनट का समय मिलता है लेकिन ट्रंप ने करीब एक घंटे तक अपना संबोधन जारी रखा.


