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सरकार और लोगों के खर्च से भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी

अक्टूबर से दिसंबर वाली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 6.2 फीसदी की दर से आगे बढ़ी. इसकी वजह सरकार और उपभोक्ताओं के खर्च में वृद्धि है. सरकार का कहना है कि उसे मौजूदा तिमाही में इसके और आगे बढ़ने की उम्मीद है

सरकार और लोगों के खर्च से भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी
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अक्टूबर से दिसंबर वाली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 6.2 फीसदी की दर से आगे बढ़ी. इसकी वजह सरकार और उपभोक्ताओं के खर्च में वृद्धि है. सरकार का कहना है कि उसे मौजूदा तिमाही में इसके और आगे बढ़ने की उम्मीद है.

साल के आखिर में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने में मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. हालांकि उत्पादन क्षेत्र अब भी विकास से दूर है और कुल मिला कर जीडीपी में जो बढ़ोतरी दिखी है, वह महामारी के बाद के तीन सालों की तिमाहियों के हिसाब से कम ही है.

कैपिटल इकोनॉमिक्स के हैरी चैंबर्क ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "जीडीपी के आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था साल के आखिर में अपने मानकों पर काफी नर्म है. हालांकि नीतियां अब निर्णायक तौर पर ज्यादा समर्थन दे रहे रही हैं और आर्थिक विकास को साल की आखिरी तिमाही में और आगे बढ़ना चाहिए."

भारत की आर्थिक हकीकतः कुछ ही लोगों का है बाजार

भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है लेकिन उसके सामने भी अनिश्चितताएं हैं. खास तौर से अमेरिका और ट्रंप प्रशासन के जवाबी शुल्क लगाने की योजनाओं के सामने आने के बाद से कारोबार को लेकर यह अनिश्चितता और ज्यादा बढ़ी है.

विकास दर में बढ़ोतरी

सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान विकास की दर उम्मीद से थोड़ा कम थी. विश्लेषकों के साथ किए रॉयटर्स के एक पोल में इसके 6.3 और भारत के केंद्रीय बैंक के अनुमानों में इसे 6.8 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई थी. इससे पहले की तिमाही में अर्थव्यवस्था का विकास 5.6 फीसदी के दर से हुआ था .

आर्थिक विकास का मापने का एक पैमाना ग्रोस वैल्यू ऐ़डेड (जीवीए) भी है. इसे ज्यादा स्थाई समझा जाता है. इसके मुताबिक अर्थव्यवस्था का विकास 6.2 फीसदी हुआ, जबकि पिछली तिमाही में संशोधन के बाद यह 5.8 फीसदी था.

पूरे साल के लिए विकास दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान सरकार ने लगाया है. यह शुरुआती अनुमान 6.4 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है. हालांकि 2023-24 की संशोधित विकास दर 9.2 फीसदी से यह काफी कम है. पूरे साल के लिए 6.5 फीसदी के विकास दर को हासिल करने के लिए भारत को जनवरी-मार्च के बीच 7.6 फीसदी की दर से विकास करना होगा.

भारत और इंडोनेशिया के भरोसे रहेगी दुनिया की विकास दर

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन मानते हैं कि इसे हासिल किया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में उछाल भारत के विकास को सहारा देगी. इस बीच शहरी उपभोग भी अपनी पहले वाली स्थिति में आ रहा है.नागेश्वरन ने ये बातें एक प्रेस कांफ्रेंस में कहीं.

रोजगार की खराब स्थिति और आय में वृद्धि कम होने के कारण शहरी उपभोग कमजोर पड़ गया था. इसके साथ ही खुदरा महंगाई की दर बीते साल के ज्यादातर हिस्से में ऊंची ही रही है. जनवरी में महंगाई की दर नीचे आ कर 4.3 फीसदी पर पहुंची. रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष में यह 4.2 फीसदी के औसत पर पहुंच जाएगी.

आर्थिक आंकड़ों में सुधार का कारण

पिछले तीन महीनों में सरकारी खर्च 8.3 फीसदी बढ़ गया जबकि इससे पहले के तीन महीनों में यह महज 3.8 फीसदी बढ़ा था. निजी उपभोक्ताओं का खर्च साल दर साल के हिसाब से 6.9 फीसदी बढ़ा है. इससे पहले की तिमाही में यह 5.9 फीसदी बढ़ा था. त्योहारों के मौसम में लोगों ने पिछले साल के मुकाबले इस बार ज्यादा खरीदारी की. आई़डीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि अक्टूबर-दिसंबर के बीच जीडीपी का विकास, "उम्मीदों से थोड़ा बेहतर है." उन्होंने इसके लिए कृषि क्षेत्र में बेहतरी और ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी को श्रेय दिया.

कृषि उत्पादन साल दर साल के हिसाब से 5.6 फीसदी बढ़ा जो पिछली तिमाही के 4.1 फीसदी से काफी ज्यादा है. हालांकि अर्थव्यवस्था में 17 फीसदी की भागीदारी वाले उत्पादन क्षेत्र का विकास 3.5 फीसदी ही रहा. इससे पहले कि तिमाही में यह 2.2 फीसदी था.

अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए भारत के रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की. यह कटौती पिछले पांच सालों में पहला पहली बार हुई थी. महंगाई कम होने के बाद ऐसी और कटौती के आसार हैं.

सरकार ने सालाना बजट में आयकरों में भी कुछ छूट का एलान किया है. इसे भी उपभोग बढ़ाने वाले कारण के रूप में देखा जा रहा है. अर्थशास्त्री अप्रैल में कम से कम एक और कटौती के आसार देख रहे हैं.


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