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‘रामजस’ विवाद में लीपापोती की तैयारी

नई दिल्ली ! दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से निकलकर दिल्ली पुलिस मुख्यालय पहुंचे विवाद में बेशक विशेष पुलिस आयुक्त ने जांच का आश्वासन देते हुए मामला अपराध शाखा को सौंप दिया है,

‘रामजस’ विवाद में लीपापोती की तैयारी
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अपराध पर नकेल कसने वाली ‘अपराध शाखा’ चर्चित मामलों में विफल
नई दिल्ली ! दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से निकलकर दिल्ली पुलिस मुख्यालय पहुंचे विवाद में बेशक विशेष पुलिस आयुक्त ने जांच का आश्वासन देते हुए मामला अपराध शाखा को सौंप दिया है, लेकिन बड़े मामलों की जांच में अपराध शाखा का रिकार्ड बेहतर नहीं है। बेशक दिल्ली में अपराध फैलाने वाले अपराधियों पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा नकेल कसने में न सिर्फ कामयाब हुई है, बल्कि उनकी टीम हमेशा आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल हुई है, लेकिन जब बात राष्टï्रीय स्तर पर चर्चित मामलों की छानबीन की आती है,
तो अपराध शाखा के धुरंधर कहीं न कहीं कमजोर दिखाई देते हैं। फिर बात चाहे नजीब अहमद गुमशुदगी के मामले की हो अथवा इशरत जहां से जुड़े दस्तावेजों की गुमशुदगी। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में जाने के बाद दोनों ही मामलों की जांच अधर में लटकी है। देश की सबसे चर्चित हत्याकांड में शुमार सुनंदा हत्याकांड में भी दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने छानबीन कर रही है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही सार्वजनिक नहीं हो सकी है।
सुनंदा हत्याकांड के वर्षों बाद तक पुलिस अभी यह नहीं बता सकी है कि सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा की हत्या के पीछे कारण क्या था। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के ही सूत्र मानते हैं कि नजीब अहमद को ढूढऩे में अपराध शाखा की टीम के सैकड़ों पुलिसकर्मी जुटे हुए हैं, लेकिन अभी पुलिस की छानबीन उसी स्थान पर है, जहां से कुछ महीनों पहले छानबीन शुरू हुई थी। हां, नजीब अहमद का सुराग देने वाले के लिए ईनाम राशि जरूर पचास हजार रूपए से बढ़ते-बढ़ते दस लाख रुपए तक पहुंच गई है, तो वहीं 15 लाख रूपए की ईनाम राशि करने का प्रस्ताव लंबित है। अब रामजस कॉलेज से उपजे विवाद की भी छानबीन दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के पास है, हालांकि महज एक दिन की छानबीन में कोई निष्कर्ष निकालने की उम्मीद शाखा के अधिकारियों के साथ ज्यादती होगी। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के अधिकारी अपनी सफाई में दलील भी देते हैं, मसलन जिला पुलिस की जांच के बाद अपराध शाखा तक फाईल आने में बहुत देर हो जाती है, जिससे कुछ सुराग मिट सकते हैं।
अधिकारी तो नजीब अहमद के मामले का हवाला भी देते हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गुमशुदगी के एक महीने बाद जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रशासन से वीडियो फुटेज मांगे थे, लेकिन बदकिस्मती से प्रशासन 28वें दिन वीडियो फुटेज मिटा चुका था। जेएनूय से गुमशुदा हुए नजीब को लेकर पुलिस अपना दृष्टिïकोण तक स्पष्टï नहीं कर पा रही है, जिसके कारण कहीं से भी सुराग मिलने पर पुलिस की टीम वहां आवाजाही कर रही है, फिर चाहे दक्षिण भारत के हिस्सों में नजीब के होने की सूचना हो अथवा नजीब के मेरठ स्थित घर में नजीब के ई-मेल चलने की खबर। बता दें कि रामजस कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के रदï्द होने के बाद एबीवीपी व आईसा के कार्यकर्ता सडक़ पर भिड़ गए थे, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए कथित रूप से छात्रों के साथ पत्रकारों की भी पिटाई की थी।
इसके बाद गुरूवार को आईसा के समर्थकों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और विशेष पुलिस आयुक्त, कानून व्यवस्था एसबीके सिंह के आश्वासन के वादे शाम को मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई।


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