मनरेगा में अब जियो टैगिंग होने पर ही निकलेगा मस्टर रोल
मनरेगा के कार्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जियो मनरेगा फेस 2 का क्रियान्वयन शुरू किया जा रहा है

जांजगीर। मनरेगा के कार्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जियो मनरेगा फेस 2 का क्रियान्वयन शुरू किया जा रहा है। इसके तहत तीन चरणों में काम किया जाएगा।
प्रथम चरण कार्य प्रारंभ होने से पहले तकनीकी स्वीकृति एवं प्रशासकीय स्वीकृति के साथ कार्य की जानकारी नरेगा साफ्ट में अद्यतन की जाएगी। इसके पश्चात डीपीआर फ्रीज करना है। द्वितीय चरण में कार्य के दौरान जब प्रथम स्तर पर जियो टैगिंग हो जाएगी तो उसके बाद ही कार्य में कार्य प्रदाय करने के लिए मस्टर रोल निकाला जा सकेगा।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जिला पंचायत सभाकक्ष में मंगलवार को मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजीत वसंत के निर्देश पर जियो मनरेगा फेस 2 के क्रियान्वयन को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जियो मनरेगा फेस-2 नवम्बर माह से शुरू हो जाएगा। इस संबंध क्रियान्वयन एजेंसी, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी, सहायक प्रोग्रामर, तकनीकी सहायक को प्रशिक्षण दिया गया। मनरेगा के कार्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जियो मनरेगा फेस 2 का क्रियान्वयन शुरू किया जा रहा है।
सहायक परियोजना अधिकारी विजयेन्द्र सिंह, प्रोग्रामर गौरव शुक्ला एवं सहायक प्रोग्रामर विवेक अग्रवाल ने जियो मनरेगा का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि इसके तहत तीन चरणों में काम किया जाएगा। प्रथम चरण कार्य प्रारंभ होने से पहले तकनीकी स्वीकृति एवं प्रशासकीय स्वीकृति के साथ कार्य की जानकारी नरेगा साफ्ट में अद्यतन की जाएगी। इसके पश्चात डीपीआर फ्रीज करना है। द्वितीय चरण में कार्य के दौरान जब प्रथम स्तर पर जियो टैगिंग हो जाएगी तो उसके बाद ही कार्य में कार्य प्रदाय करने के लिए मस्टर रोल निकाला जा सकेगा अथवा सामग्री बिलों की प्रविष्टि हो पाएगी। मनरेगा के कार्य में 30 प्रतिशत व्यय होने के उपरांत द्वितीय लेवल पर जियो टैग किया जा सकेगा।
यदि कार्य में व्यय 60 प्रतिशत हो जाता है तो जियो टैगिंग नहीं होगी। यहां पर संबंधित व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिसे प्वाइंट पर प्रथम लेवल जियो टैगिंग किया गया है, उसी प्वाइंट से द्वितीय व तृतीय लेवल जियो टैगिंग किया जाए। इस दौरान 10 मीटर का अंतर ही होगा साथ ही मोबाइल एप्प में प्रथम चरण के लोकेशन को चिंहित करने का ऑप्शन उपलब्ध होगा। वहीं अंतिम चरण यानी की कार्य पूर्णता के पश्चात नरेगा साफ्ट में कार्य पूर्णता अद्यतन कर वर्तमान फेस-1 के अनुसार तृतीय लेेवल की जियो टैगिंग किया जाना है।


