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मप्र : सरकार ही डुबोने पर तुली थी 40 हजार परिवारों को?

कोई कभी सोच भी नहीं सकता कि सरकार ही अपनों को डुबोने में लग जाएगी, मगर मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के डूब में आ रहे गांवों को लेकर ऐसी ही कुछ हुआ है

मप्र : सरकार ही डुबोने पर तुली थी 40 हजार परिवारों को?
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संदीप पौराणिक

भोपाल। कोई कभी सोच भी नहीं सकता कि सरकार ही अपनों को डुबोने में लग जाएगी, मगर मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के डूब में आ रहे गांवों को लेकर ऐसी ही कुछ हुआ है। बीते सात दिनों में इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध की टरवाइन के जरिए पानी की निकासी की गई, जिससे नर्मदा का जलस्तर बढ़ा और घाटी के गांव डूबने लगे।

यह बात दीगर है कि कम वर्षा के चलते बांध पहले से खाली थे, पानी गुजरात चले जाने के बाद अब और खाली हो गए हैं।

सूत्रों की मानें तो खंडवा के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के हस्ताक्षर से एक आदेश 11 सितंबर को जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि ऊपरी हिस्से में बारिश होने के कारण बरगी और तवा बांध के गेट खोले जाने की स्थिति में ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांध में क्षमता से ज्यादा पानी आने की स्थिति में इन बांधों के गेट खोले जा सकते हैं। 11 से 17 सितंबर तक यह क्रम जारी रहेगा।

सूत्र बताते हैं कि 11 सितंबर के बाद नर्मदा नदी का जलस्तर लगभग छह से सात मीटर बढ़ा है, जिससे नर्मदा घाटी के कई गांव में पानी भरा है। वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो नर्मदा नदी के किनारे के किसी भी जिले में इन दिनों में भारी बारिश नहीं हुई है।

इस संबंध में सिंह से आईएएनएस ने चर्चा की तो उनका कहना था कि यह बात सही है कि इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर गेट खोलने का आदेश जारी किया गया था, मगर उसे तुरंत ही निरस्त कर दिया गया। यह बात अलग है कि टरवाइन से पानी की निकासी होती रहती है। यह सामान्य प्रक्रिया है।

सूत्रों के अनुसार, खंडवा जिलाधिकारी सिंह के आदेश में खरगौन, धार, बड़वानी के जिलाधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया था। इस पर जब खरगौन के जिलाधिकारी अशोक वर्मा से बात की गई तो उन्होंने स्वीकारा कि खंडवा जिलाधिकारी ने नदी किनारे के इलाकों में सर्तकता केा कहा था, इस पर अमल भी किया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि का दावा है कि बीते 15 दिनों में नर्मदा नदी का जलस्तर बड़वानी व धार में सात से आठ मीटर बढ़ा है, यह ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर की टरवाइन से छोड़े गए पानी के कारण बढ़ा है। यह पानी सिर्फ इसलिए छोड़ा गया, ताकि सरदार सरोवर बांध को भरा जा सके और 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका उद्घाटन कर सकें।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर का कहना है, "खंडवा जिलाधिकारी का जो पत्र सार्वजनिक हुआ है, उसने साबित कर दिया है कि राज्य की शिवराज सरकार ही अपने प्रदेश के लोगों की जलहत्या करना चाहती है। उसने इसकी कोशिश भी की। जब प्रदेश का बड़ा हिस्सा सूखे की जद में है तो नर्मदा का जलस्तर इतना कैसे बढ़ गया। साफ है कि बांधों से पानी छोड़ा गया। अब किसान को सिंचाई और आमजन को पीने के लिए पानी का संकट खड़ा होना तय है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार को गुजरात में लोकार्पित किए गए सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव और एक नगर डूब क्षेत्र में आ रहा है, क्योंकि बैक वाटर इन्हीं गांवों में भरने लगा है। इसके चलते 40 हजार परिवारों को अपने घर, गांव छोड़ने की स्थिति में आ चुके हैं।

नर्मदा आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि बांधों की टरवाइन से पानी छोड़ना बंद किए जाने के बाद रविवार को बड़वानी के छोटा बरदा इलाके में जलस्तर थम गया। इससे आस जागी है कि अब गांवों में भरा पानी कुछ उतरने लगेगा।

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