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मप्र: प्रशासन ने रात को तोड़ा राजघाट

मप्र में राजघाट पर गांधी समाधि को प्रशासन ने तोड़ दिया और रात के अंधेरे में महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके शिष्य महादेव भाई देसाई की अस्थियां कचरे की गाड़ी में उठाकर भी ले गए

मप्र: प्रशासन ने रात को तोड़ा राजघाट
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बड़वानी में नर्मदा घाटी के किनारे बने राजघाट पर गांधी समाधि को प्रशासन ने तोड़ दिया और रात के अंधेरे में महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके शिष्य महादेव भाई देसाई की अस्थियां कचरे की गाड़ी में उठाकर भी ले गए। इसकी भनक नर्मदा बचाओ आंदोलन को लगने के बाद काफी हंगामा हुआ।

जानकारी के अनुसार गुरूवार सुबह करीब 3 बजे प्रशासन का अमला बड़वानी के राजघाट पर पहुंचा और खुदाई शुरू कर दी। मौके पर पहुंचीं मेधा पाटकर ने जब अधिकारियों से राजघाट की खुदाई का लिखित आदेश मांगा तो उन्होंने आदेश दिखाने से इनकार कर दिया।

इतना ही नहीं पुलिसबल के साथ पहुंचा सरकारी अमला लोगों को बलपूर्वक हटाते हुए तीनों के अस्थि कलश को लेकर रवाना हो गया। मेधा पाटकर ने कहा कि जिस ढंग से प्रशासन ने कार्रवाई की है उससे उनकी मंशा साफ़ नजर आता है। आखिर रात में तीन बजे राजघाट की खुदाई क्यों की गई ? राष्ट्रपिता के अस्थि कलशों का अपमान क्यों किया गया? बापू के अस्थि कलश कचरे की गाड़ी में ले जाए गए और विरोध करने पर महिलाओं सहित ग्रामीणों के साथ बल प्रयोग किया गया, वहीं बड़वानी कलेक्टर तेजस्वी नायक ने मेघा पाटकर के सभी आरोपों से इनकाको ख़ारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हमें 31 जुलाई के पहले डूब क्षेत्र को खाली करवाना है। उन्होंने बताया कि...सुबह साढ़े चार बजे ब्रह्म मुहूर्त होने के कारण यह समय चुना गया था।

स्मारक का विस्थापन अस्थाई रूप से एनवीडीए द्वारा निर्धारित जगह पर पूरे सम्मान के साथ किया गया है। आपको बता दें कि 1965 में गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी तीनों महान विभूतियों की देह-राख यहां लाए थे जिसे समाधि के रूप में 12 फरवरी, 1965 को बनाया गया था । इस स्थल को राजघाट नाम दिया गया है ।

गौरतलब है कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 138 मीटर की गई है और उसके सारे गेट 31 जुलाई तक पुनर्वास के बाद बंद होना है, इसके चलते मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर पानी में डूब जाएंगे। इसके विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन लंबे समय से चल रहा है, यह समाधि स्थल इस आंदोलन का केन्द्र माना जाता है। लेकिन अब इसे यहां से हटा दिया गया है। जिसके विरोध में आज से नर्मदा बचाओ आंदोलन यहां अनिश्चितकालीन अनशन शुरु कर रहा है।


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