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महात्मा गांधी को देश में उतना भी संरक्षण नहीं मिल रहा जितना गाय को हासिल है: राजगोपाल

एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी पी.वी. राजगोपाल इन दिनों राजनीतिक दलों के रवैए से खुश नहीं हैं

महात्मा गांधी को देश में उतना भी संरक्षण नहीं मिल रहा जितना गाय को हासिल है: राजगोपाल
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भोपाल। एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी पी.वी. राजगोपाल इन दिनों राजनीतिक दलों के रवैए से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि आजादी और अहिंसा के नायक महात्मा गांधी को देश में उतना भी संरक्षण नहीं मिल पा रहा है जितना गाय को हासिल है।

मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए राजगोपाल ने अपना दर्द साझा किया। उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी ने इस देश को बनाने में बड़ा योगदान और बलिदान दिया है, मगर आज उनके सम्मान का किसी को ख्याल नहीं है, कोई भी किसी भी स्तर का व्यक्ति उन (राष्ट्रपिता) पर किसी भी तरह की टिप्पणी कर देता है और अनर्गल बातें करने वालों के खिलाफ किसी तरह के कानून का प्रावधान नहीं है।"

गांधीवादी समाजसेवी ने कहा कि अगर कोई गाय, या राष्ट्रीय पक्षी मोर को मारता है या उस पर हमला करता है तो उसे जेल हो जाती है, मगर बापू पर किसी भी तरह से हमला होता है तो कोई अपराध नहीं बनता। यह बेहद अफसोस की बात है।

राजगोपाल ने राजनीतिक दलों से मांग की है कि उन्हें संसद के जरिए ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसमें इस बात का प्रावधान हो कि राष्ट्रपिता के खिलाफ कोई किसी तरह की बात ही न कर सके। उन्होंने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान में कोई सीधे जिन्ना का नाम नहीं ले सकता, उसे 'कायद-ए-आजम' या 'बाबा-ए-कौम' (राष्ट्रपिता) पहले जोड़ना ही होगा, उसके बाद उनके नाम का जिक्र होगा। जब पाकिस्तान में ऐसा हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि, यह देश के लिए दुर्भाग्य है कि जिसे हम राष्ट्रपिता मानते हैं, उसके संरक्षण के लिए एक कानून तक नहीं है, जो चाहे सोशल मीडिया पर उन्हें गालियां दे देता रहता है, इन स्थितियों के लिए कांग्रेस भी जिम्मेदार है कि उसने ऐसा कानून क्यों नहीं बनाया, जिससे महात्मा गांधी को संरक्षण मिलता।

राजगोपाल का कहना है कि देश में राष्ट्रीय पशु, पक्षी, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगीत की रक्षा के लिए तो कानून है, मगर राष्ट्रपिता की रक्षा और उनके संरक्षण के लिए किसी तरह का कानून नहीं, यह स्थिति बड़ी दुखदायी है। लिहाजा, वर्तमान समय में यह आवश्यक हो गया है कि तमाम राजनीतिक दल मिलकर संसद में एक कानून लाएं, जिसके जरिए यह तय किया जाए कि कोई भी व्यक्ति महात्मा गांधी पर किसी तरह की अनर्गल टिप्पणी नहीं करेगा। कोई दुस्साहस करता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई का कानून में प्रावधान किया जाए।


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