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महात्मा गांधी के अनुयायी ‘बुनकर’ बदहाली का दंश झेलने को मजबूर

महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर पीढ़ी दर पीढ़ी हथकरघा को व्यवसाय अपनाने वाले बुनकर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद बदहाली का दंश झेलने को मजबूर

महात्मा गांधी के अनुयायी ‘बुनकर’ बदहाली का दंश झेलने को मजबूर
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इटावा। महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर पीढ़ी दर पीढ़ी हथकरघा को व्यवसाय अपनाने वाले बुनकर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद बदहाली का दंश झेलने को मजबूर है ।

एक अनुमान के मताबिक करीब 70000 की बुनकर आबादी जीएसटी की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई है । हालात इतने खराब हो चुके है कि 40 फीसदी के करीब बुनकरो ने अपना पुश्तैनी धंधा बंद कर मजदूरी करना शुरू कर दिया है ।

इटावा हथकरघा विभाग के उप उपायुक्त सर्वेश कुमार शुक्ला ने मंगलवार को बताया कि जिले मे 400 के आसपास बुनकर समितियो को नामित करा रखा था लेकिन अब मात्र 200 के आसपास ही क्रियाशील है । जीएसटी लागू होने के बाद मात्र 10 समितियो ने अपना पंजीकरण कराया है । केंद्र सरकार की व्लाक लेबिल क्लस्टर योजना आई है जिसमे करीब 200 बुनकरो के समूह को दो करोड़ रूपये की मदद देकर योजना क्रियान्वित किया जाता है जिसमे अभी तक एक ही समिति चयनित हुई है लेकिन जिस पर अंतिम मोहर अभी नही लग सकी है।

उन्होने बताया कि इसी तरह से मुद्रा लोन योजन मे भी किसी बुनकर को अभी तक फायदा नही हुआ है । वैसे तो एक जिला एक उत्पाद योजना मे इटावा के कपडा उत्पाद को स्थान मिला है लेकिन इसके बावजूद इस योजना का कोई लाभी बुनकरो का नही मिल पा रहा है ।

पहले से बदहाली मे जी रहे इटावा के बुनकरो के सामने जीएसटी लागू होने के बाद अब रोजी रोटी का संकट आ खडा हुआ है क्योंकि बुनकरी से अब पेट भरने के सिवाय कुछ नही हो पा रहा है। चाह कर भी बुनकर अब कुछ नही कर पा रहे । असल मे बुनकर इस कारोबार से दूरी बनना चाह रहे है लेकिन उनको कोई दूसरा कारोबार आता भी नही है ।


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