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मुंबई हमले पर चिदंबरम के बयान से सियासत गरम, संजय निरुपम ने राहुल गांधी से मांगा जवाब

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के 2008 आतंकी हमले को लेकर दिए हालिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है

मुंबई हमले पर चिदंबरम के बयान से सियासत गरम, संजय निरुपम ने राहुल गांधी से मांगा जवाब
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राहुल गांधी पर संजय निरुपम का तंज, कहा- ‘एनआरआई प्रतिपक्ष नेता’

  • नक्सलवाद पर डी. राजा के बयान से निरुपम नाराज़, कांग्रेस से मांगा स्पष्टीकरण
  • सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस की माताजी को RSS आमंत्रण पर संजय निरुपम ने किया समर्थन

मुंबई। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के 2008 आतंकी हमले को लेकर दिए हालिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी बताएं कि 2008 के मुंबई हमले में अमेरिका का दबाव था या नहीं?

दरअसल, 2008 की मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने अपने हालिया बयान में कहा कि 2008 में हुए 26/11 हमले के बाद उनके मन में बदला लेने का विचार आया था, लेकिन तब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया। चिदंबरम के इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज है।

शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि राहुल गांधी से पूछा जाना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए अमेरिकी दबाव था। उन्होंने कहा कि 2008 के मुंबई हमले में 250 से अधिक लोग और बहादुर अधिकारी शहीद हुए थे। तब पूरा देश चाहता था कि पाकिस्तान से बदला लिया जाए, लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने अमेरिका के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं की और कांग्रेस ने इसे नजरअंदाज किया। उस समय पी. चिदंबरम ने भी दबाव की बात स्वीकार की थी। निरुपम ने कहा कि मोदी सरकार ने इन सब विरोधों को दरकिनार कर ऑपरेशन सिंदूर चलाया और आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दक्षिण अमेरिका दौरे पर शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा, "जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक लगातार विदेश में रहता है, तो भारत सरकार उसे एनआरआई का दर्जा देती है। मैंने यह मजाक में कहा था, लेकिन यह बहुत गंभीर मामला है। लगातार विदेश जाकर अपने देश की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।"

निरुपम ने कहा कि संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की माताजी को बुलाना स्वागत योग्य है। उन्‍होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जो अपने कार्यक्रमों में अलग-अलग समाज और पार्टियों के प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित करता रहा है। ऐसे में संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की माताजी कमला गवई को बुलाना स्वागत योग्य है। कमला गवई एक सम्मानित दलित महिला और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन उनके आमंत्रण को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा करना गलत है। भूषण गवई भले ही मुख्य न्यायाधीश हैं, पर उनके परिवार का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन बना रहना चाहिए और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।

संजय निरुपम ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दक्षिण अमेरिका दौरे पर तंज कसा। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी अधिकृत तौर पर लोकसभा के “एनआरआई प्रतिपक्ष नेता” कहलाने योग्य हैं, क्योंकि वह हिंदुस्तान से ज्यादा विदेश में रहते हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब कोई नेता लगातार विदेश में समय बिताए, तो वह देश की समस्याओं से दूरी बना लेता है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी समय-समय पर भारत आते हैं, मोर्चा और प्रदर्शन करते हैं, नारेबाजी करते हैं और फिर सीधे विदेश लौट जाते हैं। यह आचरण उन्हें “विजिटिंग प्रतिपक्ष नेता” की तरह दर्शाता है, जिसे देश की जनता बखूबी देख रही है।

सीपीआई नेता डी. राजा द्वारा माओवादियों से बातचीत के आह्वान पर संजय निरुपम ने कहा, "सीपीआई नेता डी. राजा का बयान सुनकर और देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ कि केंद्र सरकार देश को नक्सल मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही है, और वास्तव में भारत को नक्सलवाद से मुक्त होना ही होगा। नक्सलियों के पास न तो कोई मौलिक अधिकार है और न ही कोई मानवाधिकार, क्योंकि वर्षों से उन्होंने बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई है और हजारों निर्दोष लोगों की जान ली है।" निरुपम ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या वह अपने सहयोगी डी. राजा और उनके नक्सल समर्थक बयानों से सहमत है?


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