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इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा, राहुल गांधी जेब में रखते हैं : अनुराग ठाकुर

पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने देश में कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर बिहार के मोतिहारी और मुजफ्फरपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।

इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा, राहुल गांधी जेब में रखते हैं : अनुराग ठाकुर
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मोतिहारी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बुधवार को देश में कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर बिहार के मोतिहारी और मुजफ्फरपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र में मुख्य विपक्षी दल पर जमकर हमला बोला।

अनुराग ठाकुर ने आपातकाल को लेकर अपने विचार लोगों के सामने रखे। उन्होंने मोतिहारी में छात्रों के मॉक पार्लियामेंट का उद्घाटन, आरडीके होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में आपातकाल के 50 वर्ष पर संगोष्ठी और वृक्षारोपण, तथा अटल पार्क में आपातकाल पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

भाजपा नेता ने कहा, “आज से ठीक 50 साल पहले कांग्रेस की दमनकारी नीतियों और तानाशाही मानसिकता ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र के ऊपर कभी न मिटने वाला धब्बा लगाया था। अपनी महत्वाकांक्षा के चलते रातों-रात लाखों निरपराध लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, प्रेस की आजादी पर ताला लगा दिया, लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली।"

उन्होंने कहा कि देशहित से ऊपर एक परिवार, एक व्यक्ति के अहंकार को रखा गया। आपातकाल के विरुद्ध लाखों लोगों ने आंदोलन किया था। सत्ता के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था पर भी इंदिरा गांधी नियंत्रण करने की कोशिश कर रही थीं। कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा था तो राहुल गांधी उसे जेब में रखते हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देशभर में आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत 1,40,000 लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेलों में डाल दिया गया। देशहित से ऊपर एक परिवार, एक व्यक्ति के अहंकार को रखा गया। 1975 के आपातकाल को भले ही 50 साल हो गए हों, लेकिन कांग्रेस के “अन्याय, अत्याचार और तानाशाही” की यादें अब भी सभी के दिमाग में ताजा हैं। देश में आपातकाल लगाकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारतीय लोकतंत्र को लहूलुहान किया था। इसके प्रतिरोध में जेपी के हुंकार पर पूरा देश उबला था। मगर दुर्भाग्य है कि इसी आंदोलन की कोख से जन्मे लालू यादव ने बाद में कुर्सी बचाने के लिए देश के लोकतंत्र और संविधान को कुचलने वाली उस कांग्रेस से समझौता कर लिया।

उन्होंने कहा कि लालू यादव सही मायने में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के असली गुनहगार हैं। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और वंशवाद की बुनियाद पर खड़ा लालू का समाजवाद एक ढोंग और दिखावा है।


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