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डीएमएफटी घोटाले में ईडी ने 28 ठिकानों पर मारा छापा, 4 करोड़ नकदी समेत दस्तावेज बरामद

जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ में 28 ठिकानों पर छापा मारा

डीएमएफटी घोटाले में ईडी ने 28 ठिकानों पर मारा छापा, 4 करोड़ नकदी समेत दस्तावेज बरामद
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छत्तीसगढ़ डीएमएफटी घोटाले में ईडी का बड़ा एक्शन, 28 ठिकानों पर छापा

  • ईडी ने जब्त की 4 करोड़ नकदी और चांदी, भ्रष्टाचार की परतें खुलीं
  • 350 करोड़ के फंड में घोटाले का खुलासा, बीज निगम बना माध्यम
  • डीएमएफटी घोटाले में 16 आरोपी, तीन अधिकारी गिरफ्तार

रायपुर। जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ में 28 ठिकानों पर छापा मारा। इन ठिकानों में छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड (बीज निगम) से संबंधित ठेकेदारों, विक्रेताओं और उनके संपर्ककर्ताओं, बिचौलियों के आवासीय और कार्यालय परिसर शामिल हैं। टीम ने 4 करोड़ की नकदी, 10 किलोग्राम चांदी के बुलियन के साथ-साथ अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण आदि जब्त किए ।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रायपुर जोनल ऑफिस ने पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ राज्य में 28 स्थानों पर सर्च अभियान चलाया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने डीएमएफटी निधियों के कथित दुरुपयोग के लिए विक्रेताओं, ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसके आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की।

डीएमएफटी एक ट्रस्ट है, जो खनिकों द्वारा वित्त पोषित है और छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन संबंधी परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। हालांकि, कुछ सरकारी अधिकारियों ने कुछ विक्रेताओं, ठेकेदारों और बिचौलियों के साथ मिलीभगत करके इसका दुरुपयोग किया और भारी कमीशन एवं रिश्वत के बदले अवैध रूप से निविदाओं का आवंटन प्राप्त करके अपराध से आय (पीओसी) अर्जित की।

ईडी की जांच में पता चला है कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के डीएमएफटी फंड के लगभग 350 करोड़ रुपए का उपयोग बीज निगम के माध्यम से किया गया था। बीज निगम के माध्यम से विक्रेताओं, ठेकेदारों को कृषि उपकरण, पल्वराइजर, मिनी दाल मिल, बीज आदि की आपूर्ति के लिए कार्य आवंटित किए गए थे, और अनुबंध मूल्य (अपराध से आय) का 60 प्रतिशत तक कमीशन रिश्वत के रूप में उनसे संपर्ककर्ताओं द्वारा लिया गया था और अंततः कुछ सरकारी अधिकारियों और अन्य सहयोगियों तक पहुंचाया गया था।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने 21.47 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की थी और न्यायाधिकरण द्वारा इसकी पुष्टि भी की गई थी। इसके अलावा, रायपुर स्थित विशेष पीएमएलए न्यायालय में एक अभियोजन शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा, इस मामले में तीन लोगों (रानू साहू, आईएएस, माया वारियर, राज्य सेवा अधिकारी और मनोज कुमार द्विवेदी) को गिरफ्तार किया गया है।


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