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इंडिया क्लब: लंदन के बीचोंबीच स्थित इतिहास का एक टुकड़ा हमेशा के लिए बंद हो जाएगा

आजादी के बाद भारत-ब्रिटिश संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए 1951 में स्थापित लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब उसे बंद करने के खिलाफ लंबी लड़ाई हारने के बाद अगले महीने बंद हो जाएगा

इंडिया क्लब: लंदन के बीचोंबीच स्थित इतिहास का एक टुकड़ा हमेशा के लिए बंद हो जाएगा
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लंदन। आजादी के बाद भारत-ब्रिटिश संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए 1951 में स्थापित लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब उसे बंद करने के खिलाफ लंबी लड़ाई हारने के बाद अगले महीने बंद हो जाएगा।

द टेलीग्राफ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बुश हाउस में भारतीय उच्चायोग और बीबीसी के स्टूडियो के ठीक सामने स्थित क्लब के दरवाजे 17 सितंबर को हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे क्योंकि मकान मालिकों ने उसे वहां एक लग्‍जरी होटल बनाने के लिए रास्ता देने का नोटिस दिया था।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसके संस्थापक सदस्य थे। क्‍लब के सदस्‍यों में इंडिया हाउस के कर्मचारी, पत्रकार, पास के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के वकील और किंग्स कॉलेज के व्याख्याता और छात्र शामिल रहे हैं।

भारत के पहले उच्चायुक्त कृष्ण मेनन द्वारा स्थापित, यह स्थान लंदन में एशियाई समुदाय के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा है। रेस्‍त्रां ने बटर चिकन और मसाला डोसा जैसे लोकप्रिय व्यंजनों के साथ भारतीय स्वाद परोसा है।

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह पट्टा पिछले 26 वर्षों से यादगर मार्कर और उनकी बेटी फ़िरोज़ा के पास था, जिन्होंने क्लब के निष्कासन को "दिल तोड़ने वाला" बताया।

छब्‍बीस हजार लोगों द्वारा 2018 में हस्ताक्षरित "सेव इंडिया क्लब" याचिका के बाद परिसर के फ्रीहोल्डर मार्स्टन प्रॉपर्टीज द्वारा उस जगह को "आधुनिक पर्यटक आवास" में बदलने के आवेदन को वेस्टमिंस्टर काउंसिल ने खारिज कर दिया था।

हालाँकि, यह केवल एक अस्थायी राहत थी।

क्लब में अपनी बहन के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जिनके पिता चंद्रन थरूर क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, ने एक्स पर लिखा, "मुझे यह सुनकर दु:ख हुआ कि इंडिया क्लब, लंदन सितंबर में स्थायी रूप से बंद हो रहा है। इसके संस्थापकों में से एक के बेटे के रूप में, मैं उस संस्था के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं जिसने लगभग तीन-चौथाई सदी तक इतने सारे भारतीयों (और न केवल भारतीयों) की सेवा की।

"कई छात्रों, पत्रकारों और यात्रियों के लिए, यह घर से दूर एक घर था, जो सस्ती कीमतों पर सरल और अच्छी गुणवत्ता वाले भारतीय भोजन के साथ-साथ मिलने और दोस्ती बनाए रखने के लिए एक सौहार्दपूर्ण माहौल प्रदान करता था।"

एक वकालत समूह हिन्दूकाउंसिलयूके ने एक एक्‍स पर पोस्‍ट किया, "यह वास्तव में बहुत दु:खद खबर है। इंडिया क्लब द स्ट्रैंड पर छिपा हुआ ब्रिटिश भारतीय इतिहास का एक हिस्सा था। जब ऐसी जगहें बंद हो जाती हैं तो हर कोई हारा हुआ महसूस करता है। लंदन जनसांख्यिकी रूप से बहुत बदल गया है, दु:ख होता है जब आप देखते हैं कि विरासत एक नये तर्क के सामने आने के साथ फीकी पड़ गई है।“


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