अगर सरकार व्हाट्सएप के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो कैट करेगा कोर्ट का रुख
कैट ने आरोप लगाया कि यह निजता के गंभीर उल्लंघन और भारत के 40 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के विश्वास को खंडित करने का बड़ा अपराध है

रायपुर। व्हाट्सप्प की नई निजता नीति के खिलाफ एक बार दोबारा हल्ला बोलते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज फिर केंद्रीय आई टी मंत्री रवि शंकर प्रसाद को भेजे एक पत्र में व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम के खिलाफ कार्रवाही करने माग की है।
कैट ने आरोप लगाया कि यह निजता के गंभीर उल्लंघन और भारत के 40 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के विश्वास को खंडित करने का बड़ा अपराध है इसलिए इन पर कार्रवाई तुरंत जरूरी है । कैट की शिकायतों के जवाब में व्हाट्सअप ने मीडिया में विज्ञापन देकर इस मामले पर सफाई देने कोशिश की है जो निहायत ही आधारहीन है। जिसमें कैट द्वारा उठाये गए तथ्यों के विषय में कुछ नहीं कहा गया है, इससे साफ जाहिर होता है की दाल में कुछ काला अवश्य है।
कैट ने आज केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मांग की है की सबसे पहले केंद्र सरकार व्हाट्सप्प को नई नीति को 8 फरवरी से लागू न करने का निर्देश दे । उसके बाद देश में इन तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की तत्काल गहन तकनीकी ऑडिट कराये। इन तीनों सोशल मीडिया प्लेटफार्म का स्वामित्व एक कम्पनी के पास है इस दृष्टि से यह देखा जाना जरूरी है। इन तीनों के बीच किस प्रकार डाटा अब तक साझा किया गया है और उसका क्या उपयोग हुआ है। कैट ने यह भी मांग की है की अब तक इन्होने जो डाटा देश के नागरिकों से लिया है वो भारत में ही सुरक्षित है या फिर किसी अन्य देश में चला गया है, यह भी जांच में देखा जाए। डाटा पूरे देश की सुरक्षा, गोपनीयता, स्वतंत्रता और अखंडता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने इस मुद्दे पर व्हाट्सअप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की देश के लोगों के अधिक से अधिक डेटा प्राप्त करने की मंशा में, व्हाट्सएप 8 फरवरी से अपनी नई गोपनीयता नीति लॉन्च करने के लिए तैयार है उपयोगकर्ताओं की जबरन सहमति प्राप्त कर रहा है जो असंवैधानिक है, कानून का उल्लंघन है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को 10 जनवरी को अपना पहला शिकायत पत्र भेजने के बाद, आज दोबारा अपने पत्र में श्री प्रसाद से कहा है की व्हाट्सएप देश के नागरिको के मौलिक अधिकारों ला खुला अतिक्रमण कर रहा है। अधिकार के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी एक बड़ा कुठाराघात है।
श्री पारवानी ने कहा कि यह स्पष्ट है की ये कंपनियां भारत में कोई धर्मादा करने के लिए नहीं बल्कि उस डेटा को दूसरे देश में स्थानांतरित करके बड़ा धन कमाने की कुटिल नीति पर काम कर रही हैं।
इस विषय पर सरकार की कोई स्पष्ट नीति के न होने तथा कोई भी रेगुलेटरी अथॉरिटी के अभाव में,इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत के कानूनों को चकमा देना आसान लगता है। कैट के झंडे के नीचे देश भर के कारोबारी समुदाय ने किसी भी कीमत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस भयावह खेल को नाकाम करने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया है। अगर जरूरत पड़ी तो इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ कैट न्यायालय जाने में भी पीछे नहीं हटेगा।


