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अडानी समूह पर राहुल गांधी के आरोप कैसे पड़े उलटे

तीन राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ दिखाते हैं कि कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा अडानी समूह के खिलाफ आरोप लगाने की कोशिशें इन पर उलटी पड़ गई हैं

अडानी समूह पर राहुल गांधी के आरोप कैसे पड़े उलटे
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नई दिल्ली। तीन राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ दिखाते हैं कि कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा अडानी समूह के खिलाफ आरोप लगाने की कोशिशें इन पर उलटी पड़ गई हैं।

राज्य चुनावों से पहले राजनीतिक बयानबाजी और आरोपों की श्रृंखला में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। इसके अनुरूप कांग्रेस सहित भारत के विपक्षी दलों द्वारा भी अडानी समूह पर ऐसे कई आरोप लगाए गए थे।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव अभियान के तहत प्रमुख रैलियों में अडानी समूह का जिक्र किया।

राहुल गांधी ने ऐसे बयानों का इस्तेमाल किया, जो सनसनीखेज प्रकृति के थे। राहुल गांधी द्वारा बताए गए कई तथ्य गलत साबित हो चुके हैं या वर्तमान में उनकी जांच चल रही है। इसके अतिरिक्त, कुछ कथन बिल्कुल निराधार हैं और उनमें कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।

राहुल गांधी ने जानबूझकर अडानी समूह को भारत के गरीबों, जरूरतमंदों और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लाभ के विरोधी के रूप में चित्रित करने की कोशिश की। ये बयान अनिश्चितता का माहौल बनाने और भारत की विकास गाथा में योगदान देने वाले अदानी समूह को निशाना बनाने के इरादे से दिए गए थे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के महुआ मोइत्रा के संबंध में हाल के खुलासों ने इन आरोपों की विश्‍वसनीयता को और भी कम कर दिया है।

राहुल गांधी कहते रहे हैं, "अडानी समूह के कारनामों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सामने आए तथ्‍यों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाई जाए, तभी इस मामले में पूर्ण न्याय की उम्‍मीद की जा सकती है। भारत के व्यापक आर्थिक हित, गरीबों और किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए गए, सरकार अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए कोयला खदानों का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाहती है, जो आदिवासी आबादी के अधिकारों के खिलाफ है।”

बयानों से पता चलता है कि कांग्रेस द्वारा गरीबों से संबंधित किसी भी मुद्दे को आपस में जोड़ने और किसी तरह राजनीतिक लाभ लेने और केंद्र सरकार प्रधानमंत्री और अडानी समूह के खिलाफ नकारात्मक भावना पैदा करने के लिए जानबूझकर प्रयास किया गया था। इस तरह के बयानों को स्थानीय संदर्भ प्रदान करने के लिए स्थानीय मुद्दों (छत्तीसगढ़ में खदानें या तेलंगाना में कोयला क्षेत्र) के साथ मिलाया गया था।


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