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हिंदुस्तान का ऑर्डर आ चुका, सर्वे में जातिगत जनगणना की मांग बढ़ी : राहुल गांधी

कांग्रेस पार्टी ने जातिगत जनगणना को लेकर रविवार को एक बड़ा दावा किया। कांग्रेस ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 100 में से 74 फीसदी लोग इस पक्ष में हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए

हिंदुस्तान का ऑर्डर आ चुका, सर्वे में जातिगत जनगणना की मांग बढ़ी : राहुल गांधी
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने जातिगत जनगणना को लेकर रविवार को एक बड़ा दावा किया। कांग्रेस ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 100 में से 74 फीसदी लोग इस पक्ष में हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। इस सोशल मीडिया एक्स पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक सर्वे का पोस्टर शेयर कर लिखा, "मूड ऑफ द नेशन सर्वे में देश के मन की बात सामने आ गई है। हर बीतते वक्त के साथ 'जातिगत जनगणना' की मांग बढ़ती जा रही है। अब 74 फीसदी लोगों का कहना है कि जातिगत जनगणना होनी ही चाहिए। समाज में किसकी कितनी आबादी है? इस सवाल के जवाब से ही सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है। देश के लोगों का साफ संदेश है- जातिगत जनगणना करो, हमारा हक दो।"

कांग्रेस के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए लिखा, "अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप सपना देख रहे हैं - कोई शक्ति अब इसे रोक नहीं सकती! हिंदुस्तान का ऑर्डर आ चुका है - जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे। ऑर्डर अभी लागू कीजिए, या आप अगले प्रधानमंत्री को ये करते देखेंगे।"

गौरतलब है कि कांग्रेस लगातार जातिगत जनगणना की मांग उठा रही है। कांग्रेस का कहना है कि जाति के आधार पर देश की जनसंख्या को गिना जाएगा। ऐसा करने से समाज में किसकी कितनी आबादी है, इसका पता चलेगा और सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सकेगी। कांग्रेस ने कई बार सरकार से मांग की है कि जातिगत जनगणना कराई जाए, ताकि समाज में व्याप्त असमानता को दूर किया जा सके और सबको समान अवसर मिले।

इसके अलावा जातिगत जनगणना के आधार पर नीतियों का निर्माण किया जा सकता है और वास्तविक जरूरतमंद जातियों को लाभ पहुंचाया जा सकता है। जातिगत जनगणना से जाति के आधार पर योजनाएं बनाई जा सकती हैं, जो विशिष्ट जातियों की जरूरतों को पूरा करेंगी। इससे शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में समानता को बढ़ावा मिलेगा।


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