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सरकारी वकीलों की सूची मामले में उच्च न्यायालय सरकार को और वक्त नहीं देगी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में सरकारी वकीलो की सूची को रिव्यू किये जाने के मामले में कहा कि अब सरकार को और समय नहींं दिया जाएगा

सरकारी वकीलों की सूची मामले में उच्च न्यायालय सरकार को और वक्त नहीं देगी
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लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में सरकारी वकीलो की सूची को रिव्यू किये जाने के मामले में कहा कि अब सरकार को और समय नहींं दिया जाएगा।

न्यायालय ने कहा कि आगामी 23 अक्टूबर को हलफनामा पेश कर बताया जाय कि अदालत के 21 जुलाई के आदेश के पालन में क्या किया गया।

अदालत ने यह भी कहा कि सरकार की रिपोर्ट न पेश करने पर न्यायालय अपना उचित आदेश जारी करेगी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में पिछली सभी तारीखों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में बहुत समय दिया जा चुका है।

याची एवं अन्य पक्षकार वकीलो ने अदालत से कहा कि सरकार पर बड़ा हर्जाना ठोका जाय लेकिन अदालत ने ऐसा न कर सरकार को इस मामले में अंतिम मौका दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि इस काम के बावत आगे सरकार को समय नही दिया जायेगा ।

यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ एवं न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की खंडपीठ ने याची महेंद्र सिंह पंवार की ओर से दायर याचिका पर दिये हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया कि नियम कायदों को दर किनार कर बनाये गए सरकारी वकीलो की सूची को लेकर काफी दिनों से उथल पुथल की स्थिति चली है।

गत 21 जुलाई को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने इसी मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नियुक्तियों से जुड़े गम्भीर सवाल उठाये थे अदालत का मानना है कि उच्च न्यायालय जैसे उच्य न्यायिक संस्थान में सरकारी वकीलों की नियुक्ति में केवल योग्यता का ही मानक होना चाहिए ।

न्यायालय ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय तथा उच्य न्यायालयों से जारी दिशा निर्देशों तथा सरकारी वकीलों की नियुक्ति से सम्बंधित नियम कायदों को देखते हुए सरकारी वकीलों की सूची तैयार की जानी चाहिए।

अदालत ने एल आर मैनुअल एवं उच्चतम न्यायालय के अनेक निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि फिर से पुनर्विचार कर योग्य और अनुभवी सरकारी वकील बनाये जाए।

अदालत ने अपने पहले आदेश में कहा था कि गत सात जुलाई को सरकार ने तीन माह बाद जो सरकारी वकीलों की सूची जारी की थी वह कानून की नजर में टिकने के काबिल नहीं है।

अदालत ने प्रावधानों को दर किनार कर 201 सरकारी वकीलो की सूची बनाये जाने पर गंभीर रुख अपनाया था, और महाधिवक्ता को ताकीद किया था कि वह कमेटी के साथ नई सूची तैयार करे जिसमे योग्य और काबिल सरकारी वकील हो जो अदालत में सरकार की ओर से उचित पैरवी कर सके ।

याचिका में मांग की गई थी कि 201 वकीलो की पूरी सूची खारिज कर नए सिरे से पुनर्विचार कर सूची बनाई जाय।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित हुए और अदालत को बताया कि कमेटी ने प्रक्रिया पूरी कर ली है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को नियत की है ।


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