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दुनिया में बढ़ रहा कैंसर का खतरा, 2050 तक 1.86 करोड़ मौतों का अंदेशा

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेताया कि अगर इसकी रोकथाम की दिशा में जल्द ठोस कदम न उठाए गए तो 2050 तक 3.05 करोड़ लोग कैंसर से जूझ रहे होंगे।

दुनिया में बढ़ रहा कैंसर का खतरा, 2050 तक 1.86 करोड़ मौतों का अंदेशा
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कैंसर ऐसी घातक बीमारी है, जो दुनिया में करोड़ों जिंदगियों को प्रभावित कर रही है। एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि 1990 से 2023 के बीच दुनिया भर में कैंसर के मामलों और मौतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कैंसर की सबसे तेज वृद्धि अब उन देशों में हो रही है जिनके पास सबसे कम संसाधन हैं। हालांकि, इस दौरान इलाज और रोकथाम के प्रयासों में भी अच्छी खासी प्रगति हुई, लेकिन इसके बावजूद यह बीमारी थमने का नाम ही नहीं ले रही। इस अध्ययन में 1990 से 2023 के बीच 204 देशों और क्षेत्रों में 47 प्रकार के कैंसर और 44 जोखिम कारकों का विस्तृत आकलन प्रस्तुत किया गया है। 2023 में विश्लेषण ने 204 देशों में एक करोड़ 85 लाख नए कैंसर मामलों और एक करोड़ चार लाख मौतों का अनुमान लगाया गया। साथ ही अध्ययन में 2050 तक कैंसर के पड़ने वाले बोझ का भी अनुमान लगाया गया है।

कैंसर के नए मामलों में और मौतों में होगी वृद्धि
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेताया कि अगर इसकी रोकथाम की दिशा में जल्द ठोस कदम न उठाए गए तो 2050 तक 3.05 करोड़ लोग कैंसर से जूझ रहे होंगे। वहीं इस बीमारी से 1.86 करोड़ लोग अपनी जान से हाथ धो सकते हैं, जो आज के आंकड़ों के लगभग दोगुना है। अध्ययन में इस बात की भी आशंका जताई है कि इनमें से आधे से ज्यादा मामले और दो-तिहाई मौतें कमजोर और मध्यम आय वाले देशों में होंगी। इसका मतलब यह है कि अगले 25 वर्षों में 2050 तक कैंसर के नए मामलों में 60.7 फीसदी जबकि मौतों में 74.5 फीसदी की वृद्धि होने का अंदेशा है।

रुक सकती हैं लाखों मौतें
लगभग हर छह वैश्विक मौतों में से एक कैंसर के कारण हुई। 2023 में कैंसर से होने वाली 41.7 प्रतिशत मौतें परिवर्तनीय जोखिमों के कारण थीं। कैंसर के फैलने के कारणों में तंबाकू, शराब, अस्वस्थ आहार, उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक, वायु प्रदूषण और हानिकारक कार्यस्थल या पर्यावरणीय संपर्क ने योगदान दिया। यदि सरकारें सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को मजबूत करें और स्वस्थ विकल्पों को आसान बनाएं तो हर साल लाखों कैंसर को रोका जा सकता है।

कैंसर रुझानों का मॉडल तैयार
तीन दशकों से अधिक के डेटा का उपयोग करते हुए हमने भविष्य के कैंसर रुझानों का मॉडल तैयार किया। इसमें जनसंख्या वृद्धि और उम्र बढ़ने की भूमिका है, लेकिन जीवनशैली, शहरीकरण, हवा की गुणवत्ता और आर्थिक विकास में व्यापक बदलाव भी कैंसर के जोखिमों के संपर्क को बढ़ा रहे हैं। बिना बड़े हस्तक्षेप के ये रुझान जारी रहेंगे। प्रारंभिक निदान में निवेश कर सरकारें कैंसर जैसे स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और कोलोरेक्टल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की पेशकश कर सकती हैं, जो जीवन बचाती है लेकिन दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दुर्लभ है। रोकथाम को एक वैश्विक प्राथमिकता के रूप में माना जाना चाहिए।

युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा कैंसर
कैंसर को फैलने से तंबाकू नियंत्रण, वायु गुणवत्ता रेगुलेशन, मोटापे की रोकथाम रोका जा सकता हैं। ऐसे में स्वास्थ्य प्रणालियों के भी महत्वपूर्ण विस्तार की आवश्यकता है। लैब और प्रशिक्षित आन्‍कोलॉजी स्टाफ से लेकर सस्ते उपचारों तक सभी लोगों की पहुंच की आवश्यकता है। उच्च गुणवत्ता वाले डाटा भी आवश्यक है। देशों को मजबूत कैंसर रजिस्ट्रियों के बिना प्रोग्रेस की प्लानिंग या माप नहीं कर सकते। कैंसर अब केवल वृद्धों को प्रभावित करने वाली स्थिति नहीं है। कई क्षेत्रों में युवाओं को कैंसर का निदान तेजी से किया जा रहा है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से बाद के चरणों में देखा गया था। उनके लिए इसके परिणाम स्वास्थ्य से कहीं अधिक दूर तक फैले हुए हैं।


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