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चिकनगुनिया तेजी से फैलता है, प्रकोप का पूर्वानुमान लगाना कठिन : स्टडी

एक अध्ययन के अनुसार, मच्छर जनित बीमारी चिकनगुनिया के प्रकोप का आकार और गंभीरता अप्रत्याशित है

चिकनगुनिया तेजी से फैलता है, प्रकोप का पूर्वानुमान लगाना कठिन : स्टडी
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नई दिल्ली। एक अध्ययन के अनुसार, मच्छर जनित बीमारी चिकनगुनिया के प्रकोप का आकार और गंभीरता अप्रत्याशित है।

एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका सहित उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आम यह वायरस तीव्र बुखार जैसे लक्षणों का कारण बनता है, जिसके बाद जोड़ों में दर्द होता है जो महीनों तक रह सकता है।

हालांकि चिकनगुनिया वायरस शायद ही कभी घातक होता है, लेकिन नवजात शिशुओं और वृद्धों सहित हाई-रिस्क वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से गंभीर हो सकता है।

साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, अमेरिका के नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने प्रकोप ​​के पूर्वानुमान और वैक्सीन ट्रायल डेवलपमेंट के लिए चिकनगुनिया वायरस के 80 से अधिक प्रकोपों ​​का विश्लेषण किया।

जैविक विज्ञान विभाग में संक्रामक रोग महामारी विज्ञान के प्रोफेसर एलेक्स पर्किन्स ने कहा, "चिकनगुनिया के प्रकोप आकार और गंभीरता दोनों में अप्रत्याशित होते हैं।"

पर्किन्स ने आगे कहा, "एक प्रकोप कुछ ही लोगों को संक्रमित कर सकता है, और दूसरा प्रकोप उसी तरह की स्थिति में हजारों लोगों को संक्रमित कर सकता है। यही अप्रत्याशितता सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना और टीका विकास को इतना कठिन बना देती है।"

अध्ययन के लिए, टीम ने 86 चिकनगुनिया प्रकोपों ​​का पुनर्निर्माण कर विश्लेषण किया, जिससे अपनी तरह का सबसे बड़ा तुलनात्मक डेटासेट तैयार हुआ।

चिकनगुनिया की पहली बार पहचान 1950 के दशक में हुई थी। इसके प्रकोप लगातार और व्यापक होते जा रहे हैं, लेकिन ये अनियमित भी हैं और इनका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है, जिससे जन स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए संक्रमण की योजना बनाने और उसे रोकने में चुनौती खड़ी हो रही है।

एडीज एजिप्टी या एडीज एल्बोपिक्टस चिकनगुनिया के मुख्य वाहक हैं। पर्किन्स ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि चिकनगुनिया जैसे वायरस से होने वाली बीमारी के प्रकोप की गंभीरता का अनुमान लगाने में जलवायु महत्वपूर्ण कारक नहीं है।

उन्होंने कहा, "तापमान और वर्षा जैसे जलवायु कारक हमें बता सकते हैं कि प्रकोप कहां संभावित हैं, लेकिन यह अध्ययन दर्शाता है कि ये कारक यह अनुमान लगाने में बहुत मददगार नहीं हैं कि प्रकोप कितना गंभीर होगा।" विशेषज्ञ ने आगे कहा, "स्थानीय परिस्थितियां मायने रखती हैं - जैसे आप कहां रहते हैं, मच्छरों की संख्या क्या है और कैसे समुदाय में रह रहे हैं। कुछ बदलाव केवल संयोगवश होते हैं और ये अनियमितता भी कहानी का एक हिस्सा है।"


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