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हरियाणा सरकार का दावा, 2018 में पराली जलाने में आई कमी

हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को यहां दावा किया कि वर्ष 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है

हरियाणा सरकार का दावा, 2018 में पराली जलाने में आई कमी
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चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को यहां दावा किया कि वर्ष 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। प्रवक्ता ने कहा, "हरियाणा में वर्तमान कटाई सीजन के दौरान 100 में से 99 किसानों ने धान की पराली नहीं जलाई है।"

उन्होंने कहा, "हरियाणा के किसानों ने पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर उच्चस्तर की जिम्मेदारी और जागरूकता प्रदर्शित की है। हरियाणा में धान उत्पादकों की कुल संख्या सात लाख है।"

हरियाणा में इस खरीफ सीजन में 13 लाख हेक्टेयर पर धान बोया गया था।

प्रवक्ता ने चिन्हित किया, "अभी तक 10 लाख हेक्टेयर पर कटाई हुई है और अभी तक केवल 6,200 हेक्टेयर पर धान की पराली जलाने की रिपोर्ट मिली है। यह कुल इलाके का 0.6 फीसदी है, जहां कटाई की गई है।"

उन्होंने कहा कि किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए हरियाणा और केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए विशाल अभियान के कारण ऐसा मुमकिन हो पाया। साथ ही कस्टम हाइरिंग सेंटर की स्थापना और हर एक कृषि उपकरण की खरीद के लिए सब्सिडी के प्रावधान से भी इसमें काफी मदद मिली।

पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि आधारित राज्यों में अक्टूबर व नवंबर माह में पराली जलाने से उत्तर भारत में पर्यावरण प्रदूषित होता है, विशेषकर दिल्ली में, जहां सर्दियों के महीनों में स्मॉग फैल जाता है।


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