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राज्यपाल जाँच रिपोर्ट अविलम्ब सरकार को सौंपे : कांग्रेस 

झीरम घाटी में हुए कांग्रेस नेताओं पर हमले का मामला अब फिर उठने लगा है

रायपुर। झीरम घाटी में हुए कांग्रेस नेताओं पर हमले का मामला अब फिर उठने लगा है। आयोग ने जाँच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी है जिसके बाद से कांग्रेस लगातार मांग कर रही है की यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए। रविवार को इस मामले में कांग्रेस ने प्रदेश कार्यालय में पत्रकार वार्ता मे कांग्रेस का क़ानूनी मामला देखने वाले वकील सुदीप श्रीवास्तव ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल से मांग है कि अविलम्ब बिना किसी टिका टिप्पणी के जाँच रिपोर्ट सरकार को सौंपे। उन्होंने कहा परम्परा के अनुसार रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाती है फिर कैबिनेट में जाती है। राज्य से आशय कैबिनेट ही होता है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने झीरम घाटी हमले को राजनितिक षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि इस हमले में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व समाप्त हो गया था। जाँच कराकर सरकार पीडि़तों को न्याय देना चाहती है। उन्होंने कहा कि शंका है जाँच आयोग पीडि़त परिवारों को न्याय नहीं दें चाहता।

झीरम पीडि़त परिवार से अनीता योगेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्हें अब भी न्याय की उम्मीद है। हमें छत्तीसगढ़ सरकार पर पूरा भरोसा है। राज्यपाल से निवेदन है कि जाँच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाए। दौलत रोहड़ा ने कहा कि सभी को न्याय मिलना चाहिए। केंद्र सरकार को सहयोग करना चाहिए, झीरम का सच सामने आना चाहिए।

इस विषय की कानूनी जानकारी सुदीप श्रीवास्तव ने दी जो इस मामले में जांच आयोग के समक्ष कांग्रेस का पक्ष रखते रहे हैं। कांग्रेस ने जो बिंदु सवाल के रूप में रखे इस प्रकार हैं- झीरम नरसंहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंप कर तय एवं मान्य प्रक्रिया का उलंघन किया है।सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है।

झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है।जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया?

आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नही है इसमें समय लगेगा ।जब रिपोर्ट तैयार नही थी आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी ?यह भी शोध का विषय है।ऐसा क्या है जो सरकार से छुपाने की कोशिश की जा रही है?

झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगो को खोया है।झीरम देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक हत्या कांड था । इस हमले की पीछे की पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए। कांग्रेस हमेशा ही इस नरसंहार के षडयंत्र की जांच की मांग करती रही है।इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही है। कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि यदि झीरम कांड के व्यापक जांच के लिए एक वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर जीरम की षड्यंत्र की नए सिरे से जांच करवाया जाए। प्रदेश की जनता इस मामले के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है।

27 मई 2013 -9 जांच बिंदु पर अधिसूचना जारी की गई।

अगस्त 2013 से दिसंबर 2017 गवाही जारी।डॉ रमन सिंह ननकीराम कंवर सुशील शिंदे आरपीएन सिंह को गवाही के रूप में बुलाने हेतु आवेदन पेश।उक्त आवेदन पर सुनवाई कई बार बढ़ी और अंत में 22 अगस्त 2018 को सुनवाई हुई एवँ आदेश सुरक्षित। 7 जनवरी 2019 को लगभग5 माह बाद उक्त आवेदन खारिज करने आदेश और आयोग की सुनवाई अचानक बंद करने का आदेश गवाही के बाद तर्क रखने का मौका नही दिया गया।


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