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पीसीए को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बदलाव करना चाहती है सरकार: राजीव कुमार

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने आज कहा कि सरकार बैंकों को किसी प्रकार की ढील देने के लिए नहीं, बल्कि द्रुत सुधार प्रक्रिया (पीसीए) को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए इसमें बदलाव करना चाह

पीसीए को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बदलाव करना चाहती है सरकार: राजीव कुमार
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नयी दिल्ली। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने आज कहा कि सरकार बैंकों को किसी प्रकार की ढील देने के लिए नहीं, बल्कि द्रुत सुधार प्रक्रिया (पीसीए) को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए इसमें बदलाव करना चाहती है।

कुमार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संचालन मंडल ने बुधवार को पीसीए में ढील के प्रस्ताव खारिज कर दिया है। संचालन मंडल में शामिल सरकार के प्रतिनिधियों ने इस आशय का प्रस्ताव रखा था जिसका आरबीआई अधिकारियों ने विरोध करते हुये कहा कि इससे जोखिम में पड़ी परिसंपत्ति वाले बैंकों की स्थिति में जो कुछ सुधार हो रहा है उस पर पानी फिर जायेगा।

वित्तीय सेवा सचिव ने यहाँ सिड्बी द्वारा लघु ऋण पर आयोजित राष्ट्रीय कांग्रेस से इतर संवाददाताओं से कहा “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि हम किसी प्रकार की छूट या राहत के पक्ष में नहीं हैं। यदि किसी (बैंक) को राहत दी जाती है तो वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पायेगा। मौजूदा मानक कुछ कठोर हैं और हम सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के समतुल्य बनाया जाये।”

उल्लेखनीय है कि इस समय 11 सरकारी और एक निजी बैंक पीसीए का हिस्सा हैं। इसके तहत इन बैंकों के बड़े ऋण देने, शाखा विस्तार आदि पर प्रतिबंध है। ये 12 बैंक हैं - यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, देना बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, कॉर्पोरेशन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक।

कुमार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की 30 सितम्बर को समाप्त तिमाही के सभी सरकारी बैंकों के परिणाम आ जाने के बाद सरकार सार्वजनिक बैंकों के पुन: पूँजीकरण की प्रक्रिया को फिर आगे बढ़ायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए तरलता और परिसंपत्ति गुणवत्ता दोनों मोर्चों पर बने दबाव पर नजदीकी नजर रखे हुये है।


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