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सरकार देश के दुग्ध कारोबार को खत्म करना चाहती है

अखिल भारतीय किसान सभा का आरोप है, सरकार देश का दुग्ध कारोबार खत्म करना चाहती है, गाय की सुरक्षा के नाम पर केन्द्र सरकार जो कानून लाया है, वह किसानों की आजीविका को खत्म कर देगा

सरकार देश के दुग्ध कारोबार को खत्म करना चाहती है
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नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान सभा का आरोप है, सरकार देश का दुग्ध कारोबार खत्म करना चाहती है, गाय की सुरक्षा के नाम पर केन्द्र सरकार जो कानून लाया है, वह किसानों की आजीविका को खत्म कर देगा। किसान सभा ने इसे लेकर कल सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका लगाई है।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए किसान सभा के महासचिव हन्नान मौल्ला, संयुक्त सचिव एन के शुक्ला और बीजू कृष्णन ने आरोप लगाया, कि सरकार ने जिस दिन यह नया कानून बनाया, उसके दूसरे दिन की यूरोपियन यूनियन के साथ बैठक थी, उन देशों में दुग्ध उत्पाद की मात्रा अधिक है और उन्हें भारत का बाजार चाहिए, जिसके लिए सरकार तैयार है। इसके पहले भी एक बार कोशिश की गई थी, जब अमूल की तरफ से आपत्ति दर्ज की गई थी, क्योंकि दुग्ध उत्पादन के काम में सहकारी समितियां बड़ी संख्या में हैं, जिसमें महिलाओं की बड़ी संख्या है। छोटे और सीमांत किसानों का बड़ा सहारा जानवर हैं, किसानों की 25 से 30 फीसदी आय दुग्ध उत्पाद से होती है, जिसे खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

किसान नेताओं ने कहा, कि जानवरों का मामला राज्य सरकार का है, जिसमें केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह नया आदेश गाय रक्षा के नाम पर लाया गया है, पर इसमें भैंस और ऊंट को भी जोड़ा गया है। इस नए कानून के पैरा 22 में लिखा है, कि पशु मंड़ी में कोई भी जानवर काटने के लिए नहीं लाया जा सकता, इसके लिए विक्रेता को लिखित में देना होगा।

जानवर खरीदी के बाद पांच कापियों में शपथपत्र देना होगा, जिसकी एक प्रति क्रेता के पास, एक विक्रेता के पास, एक मेला कमेटी के पास, एक पशु चिकित्सक के पास और एक प्रति सरकारी अधिकारी के पास रहेगी। इसमें साफ लिखा जाएगा, कि जानवर की खरीदी दूध के लिए या खेती के लिए किया जा रहा है।

जानवर खरीदने के बाद 6 माह तक उसे नहीं बेचा जा सकेगा, किसी भी परिस्थिति में। पैरा 8 में लिखा गया है, कि राज्यों की सीमा के 50-50 किलोमीटर तक कोई भी जानवर की मंडी नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय बार्डर पर यह सीमा बढ़कर 100 किलोमीटर हो जाएगा। सरकार कह रही है, कि किसान को घर से जानवर बेचने का हक है, पर इसमें किसानों का बड़ा नुकसान है, एक तो उसे मंडी में अच्छे खरीदार मिल जाते हैं, दूसरे वर्तमान में देश का जो माहौल है, उसमें जानवर खरीदकर ले जाना जान पर खेलने के समान है।

किसान नेताओं ने कहा, कि सरकार की मंशा है, कि जो जानवर दूध नहीं देते, उन्हें सड़क पर खुला छोड़ दिया जाए, क्योंकि एक जानवर की एक दिन की खुराक 300 रुपए तक पड़ती है, जो किसी भी गरीब किसान के लिए मुमकिन नहीं है।


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