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हड़ताल को गैर कानूनी घोषित करे सरकार : हाईकोर्ट

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब राज्य के सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर नही जा सकेंगे। न्यायालय ने गुरुवार को सरकार को हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करने का आदेश दिया

हड़ताल को गैर कानूनी घोषित करे सरकार : हाईकोर्ट
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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब राज्य के सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर नही जा सकेंगे। न्यायालय ने गुरुवार को सरकार को हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करने का आदेश दिया।

न्यायालय ने कहा कि यदि कर्मचारी फिर भी हड़ताल पर जाते हैं तो उन पर कर्मचारी सेवा नियमावली 1966 की धारा 4 लागू करे। न्यायालय ने सरकार को हड़ताली कर्मचारी संगठनों की मान्यता रदद् करने और उन पर जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की युगल पीठ ने राज्य में आये दिन हो रही कर्मचारियों की हड़ताल का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई की। युगल पीठ ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य के चिकित्सक , पैरा मेडिकल स्टॉफ भी हड़ताल में चले जा रहे हैंं जबकि उन पर हज़ारों लोगों के जीवन को बचाने की जिम्मेदारी होती है। इसी तरह न्यायालय ने कहा कि शिक्षकोंं के हड़ताल पर जाने से राज्य का शैक्षणिक माहौल खराब होता है। बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाओं को कर्मचारी रोक रहे हैं जो लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ है जिससे हजारों लोगों का हित प्रभावित होता है। इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने कहा कि आवश्यक सेवाओं को बहाल रखना जरूरी है, इसलिए राज्य में हड़ताल गैर कानूनी घोषित की जाए जिसमेंं सरकारी विभागों के साथ साथ स्थानीय निकाय और निगम भी शामिल हैंं ।

न्यायालय ने अपने आदेश में हड़ताल के खिलाफ कठोर टिप्पणी की है तथा कहा कि हड़ताली कर्मी वेतन के हक़दार नही हैंं। इसलिए इन पर काम नहीं तो वेतन.नहीं का सिद्धांत लागू किया जाए। यही नहीं उनकी सर्विस भी ब्रेक कर दी जाए। साथ ही उन पर जुर्माना भी लगाया जाए। इसके अलावा हड़ताल में शामिल एसोसिएशन और फ़ेडरेशन की मान्यता वापस ली जाए ।

न्यायालय ने सरकार को कर्मचारियों की जायज मांगोंं को पूरा करने के लिए सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश देते हुए कमेटी में सम्बंधित विभागों के मुखिया और कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएंं। न्यायालय ने कहा कि इस कमेटी का गठन आठ हफ्ते के अंदर किया जाए और इस कमेटी की बैठक हर तीन माह मेंं बुलाई जाए।


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