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सरकार ने किसान संगठनों से तीनों कानूनों पर लिखित में आपत्ति और सुझाव मांगे

किसान संगठनों के साथ मंगलवार को हुई बैठक में भले ही कोई हल न निकला हो, मगर सरकार ने किसान नेताओं से संबंधित प्रावधानों पर लिखित आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं।

सरकार ने किसान संगठनों से तीनों कानूनों पर लिखित में आपत्ति और सुझाव मांगे
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नई दिल्ली। किसान संगठनों के साथ मंगलवार को हुई बैठक में भले ही कोई हल न निकला हो, मगर सरकार ने किसान नेताओं से संबंधित प्रावधानों पर लिखित आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। इसकी रिपोर्ट बुधवार तक किसान प्रतिनिधियों को उपलब्ध कराना है। इस पर अगले दिन तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजे से चर्चा होगी। सरकार का कहना है कि इससे जरूरी मुद्दों पर सही तरह से बातचीत करने में आसानी रहेगी। सरकार का कहना है कि पहले किसान संगठन नए बने कानूनों को लेकर अपने मुद्दे की सही तरह से पहचान कर लें। लिखित में अपने सुझावों का पुलिंदा तैयार करें, ताकि तीन दिसंबर को होने वाली चौथे राउंड की बैठक में आसानी हो। मंगलवार को विज्ञान भवन और कृषि मंत्रालय में हुई बैठक के बेनतीजा रहने के कारण अब सरकार और किसान संगठनों की नजरें तीन दिसंबर को होने वाली बैठक पर टिकी हैं।

यहां के विज्ञान भवन में मंगलवार को शाम साढ़े तीन बजे से पंजाब-हरियाणा के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बातचीत की। केंद्रीय मंत्रियों ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए अधिनियमों के लाभ किसान संगठनों को बताए। हालांकि किसान प्रतिनिधियों ने कानूनों को किसान हितों के विपरीत बताया। कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने किसानों के मुद्दों पर आगे चर्चा के लिए एक छोटी विशेषज्ञ समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि आपसी सहमति से उन्हें हल किया जा सके, पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि सभी प्रतिनिधि आगे की चर्चा के दौर में भाग लेंगे और सरकार के साथ इस मामले को सुलझाने के लिए विचार-विमर्श करेंगे।

विज्ञान भवन की बैठक के बाद, भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधि, राकेश टिकैत के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश से कृषि भवन में मिले। इन प्रतिनिधियों से भी अगले दौर की चर्चा तीन दिसंबर को होगी। फिलहाल सरकार ने 2 दिसंबर तक लिखित में सुझाव मांगे हैं।


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