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ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत करे कार्रवाई : पारवानी

वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति द्वारा अपनी एक हाल ही की रिपोर्ट में यह कहना की भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को अपना रही हैं

ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत करे कार्रवाई : पारवानी
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रायपुर। वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति द्वारा अपनी एक हाल ही की रिपोर्ट में यह कहना की भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को अपना रही हैं।

इससे पहले की वो बाजार पर कब्ज़ा कर लें, उनकी जांच की जरूरत है, वास्तव में भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के वर्तमान परिदृश्य को दर्शाता है। और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स द्वारा इस मुद्दे पर एक लम्बे समय से उठाये जा रहे विभिन्न सवालों की पुष्टि भी करता है।

कैट ने कहा अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए, तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी जो देश के करोडो छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होगा।

कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया एक संवाददाता सम्मेलन को कैट के साथ आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) एवं साउथ इंडिया ऑर्गनाइज्ड रिटेलर्स एसोसिएशन ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यापार एक अनाथ या अवांछित बच्चे की तरह है क्योंकि यह देश में रिटेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण अंग,जो तेजी से बढ़ रहा है।

अभी तक इसके लिए कोई कायदे एवं नियम नहीं बनाये गए हैं जिससे विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत में अपना मनमाना खेल खेलने का पूरा मौका मिल रहा है। ये कंपनियां देश के छोटे व्यापारियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

व्यापारी नेताओं ने यह घोषणा की की इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने तथा नियम एवं कायदे तुरंत घोषित किये जाने को लेकर विभिन्न वर्गों के राष्ट्रीय संगठनों का एक बड़ा फोरम बनाया जा रहा है जो संयुक्त रूप से एवं बेहद मजबूत तरीके से देश भर में इस मुद्दे पर एक बड़ा व्यापक आंदोलन छेड़ेगा।

प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष परमानन्द जैन एवं प्रदेश महामंत्री श्री सुरिन्द्रर सिंह ने कहा कि इन कंपनियों के कुटिल हाथों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी, किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घडिय़ां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

कैट ने इस मुद्दे पर एक 6 सूत्रीय ई-कॉमर्स चार्टर जारी किया है जिसमें सरकार से आग्रह किया गया है की भारत में तुरंत ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित हो। वहीं दूसरी ओर ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता संरक्षण नियमों को तुरंत लागू किया जाए।

ई-कॉमर्स के लिए एक सक्षम रेगुलेटरी अथॉरिटी का तुरंत गठन हो, एफडीआई रिटेल नीति के प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए, जीएसटी कर प्रणाली का सरलीकरण किया जाए तथा रिटेल ट्रेड के लिए एक नेशनल पालिसी भी तुरंत घोषित की जाए।


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