संघ की संस्था की मांग- मल्टीनेशनल दवा कंपनियों के लालच को खत्म करे सरकार
कोरोना को प्रभावी ढंग से मात देने के लिए सस्ते चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच की आवश्यकता है

नई दिल्ली। स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना उपचार के लिए सस्ते चिकित्सा उत्पादों की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिए बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों के संरक्षण और प्रवर्तन से संबंधित कुछ प्रावधानों से छूट के लिए संयुक्त प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर सराहना की है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि, "यह प्रस्ताव समय की आवश्यकता है। कोरोना को प्रभावी ढंग से मात देने के लिए सस्ते चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच की आवश्यकता है। बड़ी संख्या में निमार्ताओं की अनुपस्थिति में कोरोना के लिए आवश्यक चिकित्सा उत्पादों की जरूरतों को पूरा करना असंभव होगा। सरकार को दवा क्षेत्र की मल्टीनेशनल कंपनियों की लाभ कमाने की लालच को खत्म करने के लिए काम करने की आवश्यकता है।"
अश्निनी महाजन ने कहा कि, "भारत ऐसे ही लालच का शिकार रहा है। प्रतियोगिता को नियंत्रित करने के लिए गलत तरीके से प्राप्त पेटेंट का उपयोग करके गिलियड साइंसेज नाम की कंपनी ने हालांकि भारतीय जेनेरिक कंपनियों को 7 स्वैच्छिक लाइसेंस दिए हैं, लेकिन कीमतों में कोई विशेष कमी नहीं आई है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि प्रति रेमेडिविर की लागत 1 अमरीकी डॉलर यानि 75 रुपये से कम है, जबकि भारतीय कीमतें 4000 रुपये से 5400 रुपये के बीच हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार इसके लिए प्राथमिक कारण है। इसके अलावा ऐसे लाइसेंस भारतीय कंपनियों को मध्यम-आय वाले देशों में आपूर्ति करने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं।"
उन्होंने कहा कि कोविड 19 से निपटने के लिए चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच की सुविधा के लिए विभिन्न पहलें अभी तक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादन सुनिश्चित करने में विफल रहीं हैं। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के बजाय एक्ट एक्सीलरेटर और कोवेक्स सुविधा बौद्धिक संपदा अधिकारों को और अधिक पुष्ट करती है और प्रौद्योगिकी के प्रसार में देरी करती है। स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डब्ल्यूटीओ जनरल काउंसिल में इस संबंध में प्रस्ताव को अपनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।


