सरकार आरटीआई कानून का गला घोंटने की तैयारी में
त्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार सूचना का अधिकार कानून का गला घोंटने जा रही है। ....

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार सूचना का अधिकार कानून का गला घोंटने जा रही है। इसके लिये उसने बकायदा प्रक्रिया शुरु कर दी है तथा संशोधन के प्रस्ताव दबे पांव डीओपीडी की वेब साईड पर भी डाल दिये हैं। लोग कहीं अपने सुझावों व विरोध से अवगत ना करा दें इसलिये इस बात का ज्यादा प्रसार प्रचार भी नहीं किया जा रहा है। जबकि आम जन मानस को 15 अप्रैल तक अपनी राय देनी है। सरकार का यह कदम दुर्भाग्यजनक है। जहां आज भारतवासी शासकीय कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता की अपेक्षा करता है उसके उलट केंद्र सरकार सूचना अधिकार कानून को निस्तेज कर खत्म कर देना चाहती है। केंद्र सरकार को बताना चाहिये की आखिर उसकी मंशा क्या है?
बिस्सा ने बताया की केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत दायर आवेदनों, उससे जुड़ी शिकायतों एवं अपीलों पर विचार करने के लिए गैर वाजिब नये नये नियम कायदों का प्रस्ताव रखा है। हद तो यह है कि द्वितीय अपील करने के लिये आवेदक को सुप्रीम कोर्ट जैसी प्रक्रिया अपनानी होगी। आवेदक को आवेदन के साथ सत्यापन व प्रमाणीकरण (शपथ) करना होगा की आवेदन की विषय वस्तु आवेदक की जानकारी में सही है तथा आवेदन से संबंधित विषय कहीं और लंबित नहीं है। विलंब होने की दशा में कारण बताते हुए क्षमा याचना भी करनी होगी। अपील आवेदन के साथ ही समस्त संलग्नक भी साफ सुथरे तरीके से डबल स्पेश में टाईप अथवा लिखकर निर्धारित प्रोफार्में में प्रस्तुत करना होगा। जो कि एक सामान्यत: आम नागरिक के बस की बात नहीं होगी। आवेदन को पांच सौ शब्दों की सीमा में बांधने का प्रावधान है। इसी तरह की कई गैर वाजिब बातें कानून में बदलाव के तहत लाने की तैयारी है।
बिस्सा ने कहा की इस संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार आरटीआई कानून का खुला मजाक उड़ाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध दण्ड के कड़े प्रावधान लाती, शासकीय विभागों को समस्त जानकारी वेब साईड में गंभीरता के साथ संधारित न करने के एवज में कड़े दण्डात्मक नियम लाती तो समझ आता लेकिन सारे संशोधन आम जनता को कानून की पहुंच से दूर करने वाले लाकर उसने कानून की हत्या करने के अपने गुप्त एजेण्डे को उजागर कर दिया है।
बिस्सा ने कहा की आज हमने इस कानून को खत्म करने की साजिश का विरोध नहीं किया तो आने वाले समय में यह कानून पूर्ण रुपेण रुप से अपनी धार खो देगा तथा भ्रष्टों को खुले हाथों से लूट मचाने का लायसेंस मिल जायेगा। व्यक्ति अपने शोषण के खिलाफ तक लड़ाई लड़ने में असमर्थ हो जायेगा। बिस्सा ने आम जनों से अपील की है कि वे केंद्र सरकार के इस कानून की धार को खत्म करने के षड़यंत्र के खिलाफ अपनी जागरुकता प्रस्तुत करें तथा 15 अप्रैल के पूर्व डीओपीडी की ईमेल आईडी पर तत्काल अपने सुझाव व विरोध दर्ज करवाएं।


