दिल्ली यूनिवर्सिटी के तदर्थ सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने के लिए विशेष अध्यादेश लाए सरकार
दिल्ली विश्वविद्यालय के 4500 तदर्थ सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने के लिए विशेष अध्यादेश लाने की मांग तेज हो गई है

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के 4500 तदर्थ सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने के लिए विशेष अध्यादेश लाने की मांग तेज हो गई है।
मांग के पीछे तर्क है कि ये अध्यापक गत कई वर्षों से तदर्थ रूप में अध्यापन का दायित्व निभा रहे हैं और इन्होंने नियमित पदों के लिए भर्ती किए जाने वाले अध्यापकों की भांति नेट की परीक्षा भी पास की है और इनके पास पीएचडी की डिग्री भी है।
वर्षों से पढ़ाने के उपरान्त इन्हें अध्यापन का अच्छा अनुभव है इसलिए सरकार इन्हें एक बार छूट देकर नियमित करे। वर्ष 1977 और 2003 के बीच तदर्थ अध्यापकों को इसी तर्ज पर नियमित किया भी गया है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने यह मांग रखते हुए कहा कि तदर्थ सहायक प्रोफेसर वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय तथा कॉलेजों की अपनी मजबूरियों के चलते तदर्थ रूप से अध्यापन कर रहे हैं। इसमें इनका कोई दोष नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 10 हजार पदों में से 4500 पद यानी 45 प्रतिशत पद तदर्थ अध्यापकों द्वारा भरे हुए हैं। इनकी नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के उपरान्त की गई थी।
इनके पास अध्यापन का अच्छा अनुभव है और उन्हें नियमित पदों पर नियुक्त करने से विश्वविद्यालयए कॉलेज तथा विद्यार्थियों को बराबर लाभ मिलेगा। विपक्ष के नेता ने कहा कि तदर्थ अध्यापकों के सिर पर तलवार लटकती रहती है और उन्हें हर छ: महीने बाद अपने कान्ट्रेक्ट के नवीकरण की अनादरपूर्ण प्रतिक्षा करनी होती है। इससे उनका शोषण भी होता है।


