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मप्र में प्रचार, प्रपंच और पाखंड की सरकार : कांग्रेस

मध्य प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर जमकर हमले बोले

मप्र में प्रचार, प्रपंच और पाखंड की सरकार : कांग्रेस
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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर जमकर हमले बोले। सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा की 14 साल से सरकार होने के बावजूद राज्य अब भी बीमारु ही है। वर्तमान सरकार पूरी तरह प्रचार, प्रपंच और पाखंड के लिए तरह-तरह के उपक्रम करती रहती है।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने गुरुवार को विधानसभा में कहा है कि राज्य में फोर-पी की सरकार है। जहां सिर्फ पैसों के लिए किसी भी हद तक सरकार जा सकती है। प्रचार, प्रपंच और पाखंड करते हुए इस सरकार ने 14 साल में प्रदेश को आज भी बीमारू बनाकर रखा है। यह सरकार के आकंड़े ही बताते हैं।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि यह सरकार पिछले 14 साल से सत्ता में हैं, 12 साल से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री हैं, लेकिन आज भी बेटी बचाओ की बात हो, चाहे शिशु मृत्यु दर की बात हो, चाहे मातृ मृत्यु दर की बात हो। हमारी स्थिति देश के सबसे खराब राज्यों में है। शिक्षा हो, बेरोजगारी हो, प्रदेश की आर्थिक स्थिति हो, औद्योगिक विकास हो, मानव विकास हो या कानून व्यवस्था की बात हो, मध्यप्रदेश की स्थिति बदतर है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भारत के महारजिस्ट्रार द्वारा जारी आकंड़ों के अनुसार राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर 37 थी लेकिन मध्यप्रदेश में यह 50 रही, जो कि अन्य प्रांतों की तुलना में सर्वाधिक है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्युदर 25 थी, वह मध्यप्रदेश में 34 दर्ज की गई। मातृ मृत्यु दर भी 221 थी, जबकि राष्ट्रीय दर 167 थी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश आज भी कुपोषण के मामले में देश में अव्वल है। इसका कारण नौनिहालों तक पोषण आहार नहीं पहुंच पाना है। आज पंचायतों के जरिए स्व-सहायता समूहों के माध्यम से पोषण आहार वितरण की बात हो रही है, जबकि यह व्यवस्था तो 2003 में कांग्रेस सरकार के समय थी।

सिंह ने सवाल किया कि इस व्यवस्था को क्यों बदला गया। बीते 13 साल से कुपोषण के नाम पर लाभ का धंधा प्रदेश में चल रहा था। बेटी बचाओ के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला, क्योंकि मुख्यमंत्री की कर्मस्थली और विदेश मंत्री के संसदीय क्षेत्र में ही लड़कियों की संख्याा कम है। प्रति हजार 721 है, जो प्रदेश में सबसे कम है।

उन्होंने कहा कि आज भी कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसकी प्राथमिकता होती है कि वह सरकारी अस्पताल में नहीं किसी निजी अस्पताल में ईलाज कराए। यह स्थिति तब है जब स्वास्थ्य और महिला बाल विकास के क्षेत्र में पिछले एक साल में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए।

राज्य की स्कूली शिक्षा का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि आज राज्य में 10 हजार ऐसे विद्यालय हैं, जहां एक भी अध्यापक नहीं है। प्रदेश में बीते दो सालों में बेरोजगारों की संख्या में 53 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं राज्य सरकार कर्ज लेकर घी पीने में लगी है। यही कारण है कि राज्य पर कर्ज बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ हो गया है।


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