सरकार की नई चुनावी योजनाएं भारत के राजकोषीय घाटे पर असर नहीं डालेंगी : एसएंडपी
भारत सरकार 2024 की पहली छमाही में राष्ट्रीय चुनावों से पहले अधिक "व्यय पहल" की घोषणा कर सकती है

नई दिल्ली। भारत सरकार 2024 की पहली छमाही में राष्ट्रीय चुनावों से पहले अधिक "व्यय पहल" की घोषणा कर सकती है, लेकिन इससे देश के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। बुधवार को जारी एसएंडपी की रिपोर्ट में यह बात कही गई।
सॉवरेन रेटिंग्स के लिए एसएंडपी के निदेशक एंड्रयू वुड ने कहा, “जैसे-जैसे हम इस चुनाव चक्र से गुजर रहे हैं, अधिक व्यय पहल संभव है। बहुत निकट अवधि में ये उपभोग के लिए सहायक हो सकते हैं, लेकिन मध्यम अवधि के वित्त पर इनका बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।''
उन्होंने कहा, "राजस्व वृद्धि सहायक बनी हुई है और हमें उम्मीद है कि यह जारी रहेगी। केंद्र ने जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वे समेकन की गति के मामले में बहुत धीरे-धीरे हैं और जब तक अर्थव्यवस्था काफी मजबूत रहती है, तब तक ग्लाइड पथ के भीतर कुछ गति बनी रहती है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त खाद्यान्न योजना को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाने की घोषणा की।
सरकार की योजना 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत से घटाकर वित्तवर्ष 26 में 4.5 प्रतिशत पर लाने की है। चालू वित्तवर्ष के लिए मुफ्त खाद्यान्न पर खर्च का बजट पहले ही 1.7 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।


