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सामने आया अग्निपथ पर सरकार का झूठ

अग्निपथ योजना को लागू करते वक्त जो आशंकाएं जाहिर की गई थीं

सामने आया अग्निपथ पर सरकार का झूठ
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अग्निपथ योजना को लागू करते वक्त जो आशंकाएं जाहिर की गई थीं, वे सच साबित होती हुई सामने आ गई हैं। युवाओं की, सेना के तीनों अंगों में बहुत कम अवधि के लिये और काफी कम तनख्वाह पर भर्ती करने की यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा जून 2020 में लागू की गई थी। इसके अंतर्गत 17 से 21 वर्ष तक की उम्र के युवाओं को प्रति माह 30 हजार रुपये के वेतन पर सेना में भर्ती किया जाता है जो चार साल के बाद सेवानिवृत्त कर दिये जाएंगे।

सरकार ने योजना को लागू करते समय कहा था कि इसके लिये सेना के उच्चाधिकारियों एवं सेना विशेषज्ञों से राय ली गई है। अब पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल (सेवानिवृत्त) एमएम नरवणे की किताब में इसे लेकर खुलासा हुआ है कि इस योजना को देखकर तीनों सेनाएं चौंक गई थीं। इसका अर्थ यह है कि उनकी सलाह लिये बिना ही यह योजना लाई गई थी। नरवणे ने इसमें अनेक खामियां बतलाई हैं। यह भी बतलाया है कि उसे लेकर जो सरकार द्वारा कहा गया था उसके मुकाबले यह योजना एकदम से अलग थी जो सेना के किसी भी अंग द्वारा स्वेच्छा से स्वीकार्य नहीं हो सकती थी।

31 दिसम्बर, 2019 से 30 अप्रैल, 2022 तक सेना प्रमुख रहे जनरल (रिटायर्ड) मनोज मुकुंद नरवणे ने अपनी किताब 'फॉर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी' में लिखा है कि अग्निपथ योजना के कई स्वरूपों पर विचार किया गया था। सेना की प्रारम्भिक सिफारिश थी कि 75 प्रतिशत सैनिकों को काम करते रहना चाहिये और 25 फीसदी की क्रमिक रूप से सेवानिवृत्ति होनी चाहिये। उन्होंने यह भी बताया कि साल 2020 में प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में कहा गया था कि यह एक सीमित तरीके से सेना में भर्ती योजना की तरह रहेगी और इसका नाम 'टूर ऑफ ड्यूटी' होगा; जबकि योजना जब पेश की गई तो पाया गया कि यह व्यापक तौर पर लागू की गई थी। वायु सेना के उच्चाधिकारियों को भी इससे झटका लगा था। सरकार की ओर से थल, वायु व नौसेना के लिये यह अचानक लागू कर दी गई थी।

जनरल नरवणे लिखते हैं कि अग्निपथ में पहले साल अग्निवीर का प्रारम्भिक वेतन सारा कुछ मिलाकर 20 हजार रुपये प्रति माह था जो सेना को बिल्कुल स्वीकार्य नहीं हुआ। सेना का कहना था कि एक प्रशिक्षित सैनिक से उम्मीद तो की जाती है कि वह देश के लिए जान कुर्बान कर देगा परन्तु उसे बहुत ही कम तनख्वाह दी जा रही है। किसी सैनिक की तुलना एक दिहाड़ी मजदूर से नहीं की जा सकती। सेना की जोरदार सिफ़ारिशों के कारण बाद में इसे बढ़ाकर 30 हजार प्रति माह किया गया।

चार साल की अवधि के लिए सैनिकों, नौ सैनिकों और वायुसैनिकों की भर्ती के लिए जून, 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना ने भारतीय सेना को आश्चर्यचकित कर दिया था, जबकि यह नौसेना और वायु सेना, के लिए भी 'अचानक मिला झटका' था। जनरल नरवणे आगे लिखते हैं कि उन्हें नौसेना को समझाने में काफी समय लगा था और बहुत मुश्किलें आई थीं। वे यह भी बताते हैं कि तीनों अंगों में भर्ती का मामला होने के कारण इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत पर आ गई थी, जो एक दुर्घटना में नहीं रहे।

14 जून, 2022 को केंद्र सरकार द्वारा लागू करते वक्त अग्निपथ योजना को चार साल के लिए सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती के लिए 'परिवर्तनकारी योजना' बतलाया गया। नियमित तौर पर भर्ती की पहले से जारी पिछली प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया। अग्निपथ योजना में भारतीय सेना ने दो बैचों में तहत 40 हजार अग्निवीरों को शामिल किया। पहला बैच दिसंबर, 2022 और दूसरा फरवरी, 2023 में भर्ती हुआ। चार साल पूरे होने पर 25 प्रश सेवा छोड़ने पर अग्निवीर किसी अन्य प्रक्रिया के तहत नियमित कैडर में शामिल हो सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस योजना को जब लागू किया गया था तो देश भर में इसका विरोध हुआ था। विरोध के कई कारण बताये गये थे जिनमें प्रमुख यह था कि चार साल की अवधि बहुत कम होती है और एक सैनिक को पूर्ण प्रशिक्षण लेने में 5 से 7 वर्ष लग जाते हैं। बहुत कम समय में तैयार ऐसे युवाओं को युद्ध में भेजने का मतलब होगा उन्हें मौत के मुंह में डालना।

योजना के विरोध के पीछे एक और समाज वैज्ञानिक तर्क दिया गया था जो आज भी प्रासंगिक व विचारणीय है। वह यह था कि 21 से 25 वर्ष की आयु पूरी होने पर जब युवा नौकरी छोड़ेगा तब उसके आगे बेरोजगार होने का खतरा तो बना रहेगा, दूसरी ओर सेना में रहकर शस्त्र चलाना सीखने के बाद वह समाज के लिये घातक हो सकता है। ऐसे युवा समाज के सशस्त्रीकरण की राह प्रशस्त कर सकते हैं।

हालांकि सरकार का तर्क है कि नौकरी छोड़ते वक्त अग्निवीर को एकमुश्त 12 लाख रुपये की राशि मिलेगी जिससे वह आगे की पढ़ाई कर सकता है या कोई व्यवसाय कर सकता है। यह आकर्षण या भुलावा हो सकता है क्योंकि वर्तमान महंगाई को देखते हुए यह राशि बहुत कम है। चूंकि अब तक जितने लोग भर्ती हुए हैं उनमें से फिलहाल कोई सेवानिवृत्त नहीं हुआ है। पहला बैच 2026 को बाहर निकलेगा। उसके बाद ही पता चलेगा कि ये भूतपूर्व अग्निवीर समाज को क्या योगदान देते हैं और शेष जीवन कैसा गुजारते हैं। बहरहाल नरवणे के खुलासे से साफ है कि केन्द्र सरकार ने इस बाबत देश को गुमराह किया था।


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