Top
Begin typing your search above and press return to search.

मध्य प्रदेश में सरकार को सता रही है 'छवि' की चिंता

मध्य प्रदेश में पिछले दिनों में कुछ ऐसे मामले हुए हैं जिन्होंने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें उभार दी हैं

मध्य प्रदेश में सरकार को सता रही है छवि की चिंता
X

भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों में कुछ ऐसे मामले हुए हैं जिन्होंने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें उभार दी हैं। यही कारण है कि सरकार को अब अपनी छवि की चिंता सताने लगी है। राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होना है और यह चुनाव कड़ी टक्कर वाले होंगे, इसे न तो भाजपा नकार रही है और न ही कॉन्ग्रेस। इसी के चलते दोनों ही दल पूरी तरह सुरक्षित रणनीति पर काम कर रहे हैं। वहीं बीते कुछ दिनों में हुई घटनाएं सरकार के लिए चिंता का सबब बन गई है।

धार जिले में बन रहे कारम बांध में आई दरार और उसके बाद हुए रिसाव के बाद सरकार की जमकर किरकिरी हुई है, क्योंकि यह बांध 300 करोड़ से ज्यादा की लागत का है और रिसाव ने सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसे लेकर कांग्रेस ने जमकर हमले बोले, यह तो सरकार की खुशनसीबी रही कि बांध के रिसाव से कोई जनहानि नहीं हुई।

कारम बांध का मसला ठंडा पड़ा ही था कि पोषण आहार को लेकर महालेखाकार की रिपोर्ट सामने आ गई। इस रिपोर्ट ने सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी, क्योंकि शिवराज सरकार की पहचान बच्चों के कल्याण और महिलाओं की हितैषी वाली सरकार की रही है। इसी क्रम में पन्ना जिले में 100 स्कूलों में छह माह तक मध्यान्ह भोजन वितरित न होने का मामला सामने आया। राज्य के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले में इंदर सिंह परमार जो कि स्कूल शिक्षा मंत्री हैं उन्हें पत्र लिखा था। इसके बाद सियासत मंे हलचल मच गई।

कारम बांध को लेकर कांग्रेस के विधायक पाची लाल मेडा आक्रामक हैं और उन्होंने तो धरमपुरी विधानसभा से आदिवासी न्याय यात्रा भी शुरू कर दी है। वे यह यात्रा लेकर दो अक्टूबर को भोपाल पहुंचेंगे।

इन मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है, यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तमाम मंत्रियों को हिदायत दी हैं और उनसे कहा है कि वे जनता से जुड़े मुद्दे को मेरे संज्ञान में लाएं और जहां जरूरी है उसे उचित फोरम पर अपनी बात को रखें।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it