झारखंड में बाहर से लौटे मजदूरों को राहत देने की तैयारी में सरकार
झारखंड में कोरोनावायरस को लेकर लागू लॉकडाउन में ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार उनके राहत देने के लिए योजना बना रही है

रांची। झारखंड में कोरोनावायरस को लेकर लागू लॉकडाउन में ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार उनके राहत देने के लिए योजना बना रही है। सरकार ने मनरेगा के तहत छोटी-छोटी विकास योजनाओं को प्रारंभ करने की योजना बनाई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग में भी मनरेगा मजदूरी दर बढ़ाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में मनरेगा मजदूरी दर झारखंड में सबसे कम है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि मनरेगा मजदूरी दर को बढ़ाकर 300 रुपये किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, "लॉकडाउन समाप्त होने के पश्चात लगभग साढ़े पांच लाख मजदूरों के वापस झारखंड लौटने की संभावना है। इनके झारखंड लौटने के बाद राज्य सरकार को उन्हें क्वोरंटीन करने तथा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार से मदद की आवश्यकता पड़ेगी।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत निर्धारित कार्य दिवस की सीमा को बढ़ाई जाए, जिससे वापस झारखंड लौटे मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। मुख्यमंत्री ने आशंका जताई कि रोजगार उपलब्ध न होने की स्थिति में विधि व्यवस्था एवं सामाजिक तनाव की स्थिति राज्य में उत्पन्न हो सकती है।
इस बीच, ग्रामीण विकास विभाग ने भी मनरेगा के तहत कुछ काम शुरू करवाने की योजना तैयार की है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इस पर मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद विभाग द्वारा कदम उठाया जाएगा। इसके तहत नाला, मिट्टी काटना, पौधरोपण जैसे छोटे-छोटे काम कराए जाने की बात कही गई है। लौटे मजदूरों को जिनके पास जॉब कार्ड नहीं होगा, उसे तुरंत बनाया भी जाएगा।
ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम भी कहते हैं कि "मजदूरों को खाने के लिए भोजन सामग्री सरकार उपलब्ध करा रही है। लेकिन केवल इससे उनकी जरूरत की पूर्ति नहीं हो पा रही है। उन्हें राजमर्रा के अन्य सामानों के लिए भी पैसे की जरूरत है। यही कारण है कि विभाग ने मनरेगा के तहत सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए काम शुरू करने की योजना बनाई है।"


