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जन-शिकायतों के निपटारे को अहमियत दे रही है सरकार

मोदी सरकार में सुशासन और डिजिटलीकरण को प्रमुखता देने के साथ-साथ अब जन-शिकायतों के निपटारे को भी अहमियत दी जा रही है

जन-शिकायतों के निपटारे को अहमियत दे रही है सरकार
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नई दिल्ली। मोदी सरकार में सुशासन और डिजिटलीकरण को प्रमुखता देने के साथ-साथ अब जन-शिकायतों के निपटारे को भी अहमियत दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसके लिए समय दे रहे हैं और हर महीने किसी खास विभाग में प्राप्त बड़ी शिकायतों की छानबीन करने और उनके निपटारे पर ध्यान दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में पोर्टल माईगॉव डॉट इन शुरू करके आमलोगों का सरकार से संपर्क करना आसान बना दिया और उनके रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' से इस संपर्क में और सहूलियत मिली है जिससे पूर्व में मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल के बाद जन-शिकायतों में कई गुना वृद्धि हुई है।

पहले जहां हर साल तीन लाख जन-शिकायतें आती थीं वहां अब करीब 18 लाख जन-शिकायतें आने लगी हैं। रोजाना सैकड़ों जन-शिकायतें मिलने लगी हैं।

नागरिक जनशिकायत पोर्टल 'पीजीपोर्टल डॉट गॉव डॉट इन' पर लॉग इन कर सकते हैं।

कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के तहत यह केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण व निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) है।

हर शिकायत का निपटारा 60 दिनों के भीतर संतोषप्रद ढंग से किया जाना होता है।

शिकायतों के निपटारे की दर 96 फीसदी है जिनमें डाक विभाग, पेंशन, बैंकिंग या भ्रष्टाचार और जमीन से संबंधित शिकायतें हैं।

करीब चार फीसदी शिकायतें 60 दिनों की अवधि के भीतर बंद नहीं होती हैं।

नागरिक सिर्फ माईगॉव डॉट इन पोर्टल पर ही शिकायत दर्ज नहीं करते हैं बल्कि वे राष्ट्रपति की वेबसाइट और मंत्रिमंडल सचिवालय के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करते हैं।

हस्त लिखित शिकायत समेत सभी शिकायतें सीपीजीआरएएमएस के पास पहुंचती हैं जोकि इस मसले के लिए एक नोडल प्राधिकरण है।

सीपीजीआरएएमएस उसके बाद यह तय करता है कि शिकायतों को किसी विभाग या मंत्रालय को भेजा जाना चाहिए। इसमें छह क्षेत्र हैं जिसके तहत वह शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है। इनमें नीतिगत मसले, वाणिज्यिक अनुबंध, मध्यस्थता के तहत फैसले, सेवा संबंधी मामले (ग्रेच्युटी और पेंशन के भुगतान को छोड़कर), विचाराधीन मामले और हल्की किस्म की शिकायतें शामिल हैं।

एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, "डिजिटलीकरण के बाद अब डीएआरपीजी डैशबोर्ड सीपीजीआरएएमएस पर शिकायतें पॉपकॉर्न की तरह बढ़ गई हैं। ज्यादातर शिकायतें लोकसेवाओं से जुड़ी होती हैं। मसलन, समय पर बारिश न होना, सड़क का निर्माण न होना, डाक वितरण नहीं होना, मनरेगा के तहत भुगतान नहीं होना, वित्तीय सेवाओं और बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी शिकायतें।"

सूत्र ने बताया, "हमें नागरिकों से विदेशों से रिश्तेदारों का शव नहीं आने से संबंधित शिकायतें भी मिलती हैं।"

अतिरिक्त सचिव डीएआरपीजी वी. श्रीनिवास ने आईएएनएस से कहा, "यह एक लोकतांत्रिक सरकार की प्रतिबद्धता है कि वह शासन के मामले में नागरिकों को संतुष्ट करे। सीपीजीआरएएमएस एक ऐसी प्रणाली है जो नागरिकों की मदद उनकी शिकायतों के निपटारे में करती है।"


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