अबूझमाड़ियों के विकास का आंकलन करा रही है सरकार
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश की आधा दर्जन विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल अबूझमाड़ियों के विकास की दशा और दिशा में आए बदलाव के बारे में राज्य सरकार रिपोर्ट तैयार करवा रही है
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश की आधा दर्जन विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल अबूझमाड़ियों के विकास की दशा और दिशा में आए बदलाव के बारे में राज्य सरकार रिपोर्ट तैयार करवा रही है। सूत्रों के मुताबिक पिछले चार महीने से नारायणपुर जिले में इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
आदिम जाति कल्याण विभाग के अनुसंधान एवं सर्वेक्षण इकाई द्वारा एक-एक परिवार से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र कर ली गई है। समस्त जानकारियों की ऑनलाइन एंट्री कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
इसी रिपोर्ट के आधार पर अबूझमाड़ियों के विकास के लिए भविष्य में लागू होने वाली योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जाएगी। आदिम जाति अनुसंधान एवं सर्वेक्षण इकाई बस्तर के क्षेत्रीय अधिकारी एमएल अंसारी ने बताया कि अबूझमाड़िया का सर्वेक्षण कराया गया है।
विकास की योजनाएं तैयार करने में सर्वेक्षण से सामने आने वाली जानकारियां काफी अहम साबित होंगी। इसके पहले करीब 15 साल पूर्व सर्वेक्षण कराया गया था। सर्वेक्षण रिपोर्ट आने में अभी कुछ समय लगेगा।
इसके पहले आखिरी बार डेढ़ दशक पहले साल 2002 में अबूझमाड़ियों के भौतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक विकास का अध्ययन शासन ने कराया था।
बस्तर संभाग में निवासरत जनजातियों में सबसे पिछड़ी जनजाति अबूझमाड़िया ही है, जो आजादी के बाद अरबों रूपए खर्च करने के बाद भी विकास की दौड़ में सबसे निचले पायदान पर है। प्रदेश में छह जनजातियां विशेष पिछड़ी जनजातियों की सूची में शामिल हैं। इसमें अबूझमाड़िया भी हैं। यह जनजाति पश्चिम बस्तर में नारायणपुर जिले के दो ब्लाकों नारायणपुर और ओरछा में निवासरत है।
पहले अबूझमाड़ से जुड़े गांव बीजपुर क्षेत्र में भी थे जिन्हें जिलों के पुनर्गठन में नारायणपुर जिले में शामिल कर दिया गया। यह जनजाति देश में सिर्फ नारायणपुर में ही निवासरत है। वर्तमान में अबूझमाड़ियों के करीब पांच हजार परिवार रहते हैं। संरक्षित अबूझमाड़िया जनजाति के समग्र विकास के लिए राज्य शासन द्वारा अबूझमाड़ विकास अभिकरण गठित किया गया है।


