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सरकार को उम्मीद, बेहतर मानसून से खाद्य मुद्रास्फीति में आएगी और कमी

वित्त मंत्रालय की जारी मासिक समीक्षा के अनुसार, जुलाई में भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ और इस साल बेहतर मानसून के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में और कमी आने की उम्मीद है

सरकार को उम्मीद, बेहतर मानसून से खाद्य मुद्रास्फीति में आएगी और कमी
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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय की गुरुवार को जारी मासिक समीक्षा के अनुसार, जुलाई में भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ और इस साल बेहतर मानसून के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में और कमी आने की उम्मीद है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून 2024 में 5.1 प्रतिशत से घटकर जुलाई 2024 में 3.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है।

इसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट थी। समीक्षा में कहा गया है कि जून 2024 में यह 9.4 प्रतिशत से घटकर जुलाई 2024 में 5.4 प्रतिशत हो गई।

खाद्य मुद्रास्फीति में आई पर्याप्त गिरावट को मुख्य रूप से सब्जी मुद्रास्फीति में जून 2024 के 29.3 प्रतिशत से जुलाई 2024 में 6.8 प्रतिशत तक की गिरावट और 'तेल और वसा' तथा मसालों में हल्के डीफ्लेशन से मदद मिली।

दूसरी ओर, कोर मुद्रास्फीति (जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं है) जुलाई 2024 में 3.3 प्रतिशत के मध्यम स्तर पर थी।

समीक्षा के अनुसार, कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 के पहले चार महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 4.6 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष 24 (अप्रैल-जुलाई) में यह 5.3 प्रतिशत थी।

मध्यम कोर मुद्रास्फीति और मानसून में सकारात्मक प्रगति के साथ, हेडलाइन मुद्रास्फीति का नजरिया सकारात्मक है। अगर मानसून सामान्य रहा तो वित्त वर्ष 2025 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई द्वारा 4.5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून की लगातार प्रगति ने कृषि गतिविधियों को समर्थन दिया है। 19 अगस्त, 2024 तक कुल दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा लंबी अवधि के औसत से 3 प्रतिशत अधिक थी। इसके अलावा, लोकल डिस्ट्रीब्यूशन में सुधार हुआ है, 84 प्रतिशत उपखंडों में सामान्य या अधिक वर्षा हुई है। इससे खरीफ की अच्छी बुआई संभव हो सकी है।

16 अगस्त तक, कुल खाद्यान्न के तहत वास्तविक बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.8 प्रतिशत अधिक था, जबकि अनाज और दालों में प्रगति पिछले वर्ष की तुलना में 4.6 प्रतिशत और 5.7 प्रतिशत अधिक थी।

मानसून में अच्छी प्रगति के साथ-साथ जलाशयों में जल स्तर में सुधार हो रहा है, जिससे चालू खरीफ और आगामी रबी फसल उत्पादन के दौरान सिंचाई के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित हो रहा है।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, 15 अगस्त तक 150 जलाशयों में भंडारण उपलब्धता पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 111 प्रतिशत और पिछले दस वर्षों के औसत भंडारण की तुलना में 114 प्रतिशत थी। यह अच्छे खाद्य उत्पादन के लिए शुभ संकेत है, जो आगामी महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में सहायता करेगा।

इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए केंद्रीय बजट वित्त वर्ष 25 में विभिन्न उपायों की घोषणा की गई है।


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